लम्बे इंतजार के बाद देश में कोरोना की वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है. रविवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड व सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड (Oxford and Serum Institute's Vaccine Covishield) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की वैक्सीन कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. वैक्सीन आने की खुशी देशवासियों में दिखाई दे रही है, लेकिन इस खुशी के बीच भी सावधानी बरतने की जरूरत है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें टीकाकरण के दौरान अगर नियमों का पालन नहीं किया तो स्थितियां बिगड़ सकती हैं. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. घनश्याम पांग्टेय की मानें तो जल्द ही देश के 30 हजार केंद्रों पर वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगी. अभी भी हमें दो गज की दूरी, हैंड हाईजीन , सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, बिना बात के भीड़ न करें, और भीड़ वाली जगह में न जायें. अगर हम ये दो-चार महीने और अच्छी तरह करें तो हम इस वैक्सीन का पूरा उपयोग कर सकते हैं.
वैक्सीन का इमर्जेंसी अप्रूवल क्या होता है?
डॉ. पांग्टेय (Dr. Pangtey) बताते हैं कि केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की विशेषज्ञों की समिति ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को रज़ामंदी दी है. आम तौर पर वैक्सीन बनने में वर्षों लग जाते हैं, इस बार एक साल के भीतर ही बहुत सारी वैक्सीन अप्रूव हुईं, क्योंकि हमारे पास समय नहीं है. इंफेक्शन बहुत बढ़ रहा है. अमेरिका में 2 करोड़ और भारत में एक करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं. अगर समय पर वैक्सीन नहीं आयी तो हो सकता है, तब तक देर हो जाए. अभी तक के डाटा को वैज्ञानिकों ने चेक किया और फायदों और नुकसान का अनुपात निकाला. बीते 9 महीनों के ट्रायल में हमें फायदे ज्यादा दिखे, नुकसान कम. यह ज्यादा लोगों पर प्रभावी है, बहुत कम लोगों में ही साइड इफेक्ट (side effect) दिखे, वो भी जानलेवा नहीं हैं. उसको देखते हुए वैक्सीन को इमर्जेंसी अप्रूवल दिया गया है. यह भी पढ़ें :West Bengal Assembly Election: तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में ‘मां, माटी और मानुष’ को ठगा है-गजेंद्र सिंह शेखावत
टीकाकरण शुरू होने के बाद वैज्ञानिक क्या करेंगे?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा, "हमारे पास वैक्सीन से जुड़ा डाटा बहुत सालों का नहीं है, कुछ महीनों का है. अब तक के डाटा के आधार पर सभी वैक्सीन को इमर्जेंसी अप्रूवल (Emergency approval) दिया जा रहा है. टीकाकरण शुरू होने के बाद भी वैक्सीन से जुड़ा डाटा कलेक्शन जारी रहेगा. टीकाकरण पूरी निगरानी में किया जाएगा. अगले छह महीने, नौ महीने या साल भर तक यह देखा जाएगा कि किस वैक्सीन की कितनी इफेक्टिवनेस रही, कितनी उपयोगी रही." उन्होंने कहा कि यूके और दक्षिण अफ्रीका के बाद अब नाइजीरिया में कोरोना का नया स्ट्रेन पाया गया है. ये सभी एक दूसरे से भिन्न हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये जो नए स्ट्रेन हैं, उनको अभी मौजूद वैक्सीन कवर करेंगी. वैक्सीन के निर्माण की बहुत लम्बी चेन है, ये निश्चित रूप से नए स्ट्रेन पर प्रभावी होंगी.
वायरस म्यूटेट करते हैं, तो क्या RT-PCR टेस्ट तब भी प्रभावी रहेगा?
इस सवाल पर डॉ. पांग्टेय ने कहा कि RT-PCR टेस्ट एक न्यूक्लिक एसिड टेस्ट है, जो इस समय वायरस के डिटेकशन के लिए सर्वश्रेष्ठ टेस्ट है. इसमें डीएनए या आरएनए तत्वों के साथ कुछ अलग-अलग जीन हैं, उनको डिटेक्ट किया जाता है. इस समय जो आरटीपीसीआर परीक्षण हो रहा है, उसमें काफी सारे सीक्वेंस कवर होते हैं. इसलिए अभी तक इतना बड़ा म्यूटेशन नहीं हुआ है, कि टेस्ट पकड़ नहीं पाये. यह भी पढ़ें : शुभेन्दु के छोटे भाई, तृणमूल कांग्रेस 14 पार्षद भाजपा में शामिल हुए
उन्होंने कहा कि सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि किसी को कभी भी, कोई भी बीमारी हो सकती है. अब वैक्सीन लगवाने के बाद अगर कोई लक्षण आते हैं, तो उसे यह मत मान बैठें कि ये वैक्सीन के कारण हुआ है. डॉक्टर से संपर्क करें. टीकाकरण शुरू होने के बाद हो सकता है, कुछ लोगों में साइड इफेक्ट आयें, और मीडिया में आपको ऐसी खबरें भी मिलें, तो उन पर तुरंत विश्वास मत करें. हो सकता है, जिसने वैक्सीन ली हो, उसे पहले से कोई बीमारी हो. याद रहे वैक्सीन को बहुत कम समय में गहन अध्ययन के बाद अप्रूवल दिया गया है. और हमें इसमें संतोष करना होगा.