Corona Vaccination: वैश्विक महामारी कोरोना ने समय के साथ एक के बाद एक न जाने कितने रूप बदले. नये वेरिएंट ओमिक्रोन (Variant Omicron) के आने से फिर से दुनिया सहमी हुई है. तीसरी लहर की आशंका जताई जाने लगी है. देशवासियों की सुरक्षा को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर कुछ दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना टीका के दोनों डोज लेने पर जोर दिया जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि देश में टीकाकरण की क्या स्थिति है और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देशों को लेकर कौन राज्य कितने गंभीर हैं. यह भी पढ़े: Corona Vaccination: भारत में आज 1 करोड़ लोगों को लगा कोरोना की वैक्सीन
आकड़ों से झलकी वास्तविकता
केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि पूरे विश्व में कोरोना के कोहराम के बाद भी कई ऐसे राज्य हैं, जो अपने यहां नागरिकों की सुरक्षा को लेकर बहुत गंभीर नहीं हैं. जनता के स्वास्थ्य चिंता को लेकर कुछ राज्यों की इतनी खराब स्थिति है कि वे अपने यहां वैक्सीन की पहली डोज दो तिहाई से ज्यादा लोगों तक को नहीं दे पाये हैं. स्वास्थ्य को लेकर कुछ राज्यों की इच्छाशक्ति का ये आलम है कि वे अपने यहां की जनता को 50 फीसदी से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज तक भी नहीं दे पाये.
वैक्सीनेशन को लेकर गंभीर राज्य
हालांकि कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कुछ राज्यों के आंकड़े न सिर्फ आशा का संचार करते हैं बल्कि ये भी बताते हैं कि उन राज्यों के मुख्यमंत्री किस तरह से इस वैश्विक महामारी को गंभीरता से ले रहे हैं. ये राज्य अपने यहां कि जनता के वैक्सीनेशन को लेकर अतिरिक्त सतर्कता भी बरत रहे हैं।ऐसे 7 राज्य हैं, जहां के मुख्यमंत्रियों ने कोरोना वैक्सीनेशन को काफी गंभीरता से लिया है और उन्होंने जनता को 90 फीसदी से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दिलाई है. 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य दिशा-निर्देश के आलोक में अपने यहां की जनता को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज भी 50 फीसदी लोगों को लगवा चुके हैं.
आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने यहां कोरोना वैक्सीनेशन को गंभीरता से लिया है.यही कारण है कि राज्य में वैक्सीन के लिए योग्य लोगों को उसकी पहली डोज 100 प्रतिशत लग चुकी है. हिमाचल प्रदेश में दूसरी डोज भी 91.9 फीसदी लोगों को लग चुकी है. गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत हैं। सावंत के प्रयासों से उनके राज्य में कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक 100 फीसदी लोगों को और दूसरी खुराक 87.9 फीसदी लोगों को लग चुकी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कोरोना वैक्सीनेशन को अति गंभीरता से लिया है और अपने यहां की जनता के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखते हुए 90 फीसदी से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगवा चुके हैं.
ये राज्य हैं अगंभीर
दूसरी तरफ आंकड़े बताते हैं कि कुछ राज्यों ने टीकाकरण को बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। पूरा विश्व जिस तरह से अपने यहां के नागरिकों के टीकाकरण पर जोर दे रहा है, उसे देखते हुए इन राज्यों को टीकाकरण को लेकर काफी गंभीर रहना होगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का अपनी जनता को टीका लगवाने का रिकॉर्ड बहुत बढ़िया नहीं कहा जा सकता. इस राज्य में पहली डोज 78.1 फीसदी और दूसरी डोज 42.65 फीसदी तक लगी है. महाराष्ट्र भारत का बड़ा राज्य है, वहां कोरोना के मामलों का विस्तार भी ज्यादा देखने को मिला था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टीकाकरण की रफ्तार इसलिए भी तेज करनी होगी क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पहली डोज 80.11 फीसदी और दूसरी डोज 42.5 फीसदी वयस्क आबादी को ही लग पाई है. ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल में भी कोरोना टीकाकरण की पहली डोज और दूसरी डोज का आंकड़ा 86.6 फीसदी और 39.4 फीसदी है, जिसे उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता.
इस समय झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं. हेमंत सोरेन शासित झारखंड में अभी तक 66.2 फीसदी वयस्क आबादी को पहली डोज लगी है, जबकि मात्र 30.8 फीसदी आबादी को ही दूसरी डोज लगी है. झारखंड में वैक्सीनेशन का यह आंकड़ा चिंताजनक है. अगर वहां की जनता को महामारी से बचाना है तो राज्य सरकार को टीकाकरण की रफ्तार में तेजी लानी होगी. चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मुख्यमंत्री हैं. पंजाब में बहुसंख्यक जनता को अभी भी टीके की दोनों डोज नहीं लगी है. आंकड़े बताते हैं कि 72.8 फीसदी आबादी को पहली डोज लगी है और 32.8 फीसदी आबादी को दूसरी डोज लगी है.
टीकाकरण में फिसड्डियों को चाहिए अब बुस्टर डोज
भारत एक है. हर राज्य को चाहिए कि केंद्र सरकार के कोरोना रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों में वो कदम से कदम मिलाकर चलें, तभी कोरोना पर लगाम लगाया जा सकेगा.ताज्जुब की बात ये है कि जो राज्य अपने यहां लोगों को पहली और दूसरी खुराक पर्याप्त रूप में नहीं दे पाए हैं, वही राज्य अब बूस्टर खुराक की बात कर रहे हैं. कोरोना टीकाकरण का लक्ष्य जननीति से ही हासिल किया जा सकता है। कम टीकाकरण वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों को यह सोचना चाहिए कि लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी जो चीजें हैं, हमारे वैज्ञानिकों ने मेहनत कर जो टीका बनाया है, उन टीकों को तत्परता से अपने यहां योग्य लोगों को लगवायें। जनता और जननीति यही कहती है कि सिर्फ टीकाकरण की तेज रफ्तार से ही उनका बचाव हो सकता है, क्योंकि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन के आने से कम टीकाकरण दर वाले राज्यों की जनता की चिंता बढ़ गई है.