राजनीतिक गलियारों और आमजन मानस में चर्चा-ए-आम है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra) में इंदिरा गांधी (Ex. Prime Minister Indira Gandhi) अख्स नजर आता है। घुंघराले बाल, वही नैन नक्श, और वैसी ही सादगी और जनता के बीच वैसा ही बर्ताव। प्रियंका गांधी (Congress Leader Priyanka Gandhi) समय पर अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का समय-समय पर जिक्र भी करती रहती हैं.
कई बार प्रियंका को उनकी दादी की पुरानी साड़ियों में ठीक उसी अंदाज में भी देखा गया है. और प्रियंका के ये अंदाज अक्सर मीडिया की सुर्खियों में छा जाता है. शायद यही कारण है कि कांग्रेस को प्रियंका से कुछ अलग उम्मीद है. ये प्रियंका गांधी का प्रभाव है कि बेजान पड़ी कांग्रेस उन्हें उम्मीदों की नजर से देखती है और कार्यकर्ता उनसे मिल उत्साहित हो उठते हैं.
यूं तो प्रियंका गांधी वाड्रा करीब डेढ़ वर्ष बाद लखनऊ आ रहीं हैं लेकिन उनके सामने दोहरी चुनौती है. एक ओर जहां हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस के बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जहां कार्यकर्ताओं में मायूसी है वहीं दूसरी ओर कुछ महीनें बाद विधानसभा चुनाव पार्टी में जान फूंकना एक बड़ी चुनौती है. पार्टी उनसे चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठी है. जाहिर ऐसे में प्रियंका पर दबाव भी होगा.
ऐसे मुश्किल हालातों में प्रियंका गांधी के लिए भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधे मुकाबले के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य क्षेत्रियों दलों से निपटना उनके लिए सियासी रणनीतिक कौशल और नेतृत्व क्षमता की सबसे बड़ी घड़ी होगी. हार की झड़ी के बावजूद बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनसे किसी चमत्कार या करिश्मे की उम्मीद है.
गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अब 16 जुलाई को लखनऊ आएंगी। इससे पहले वे 14 जुलाई को लखनऊ आने वाली थीं लेकिन उनका ये दौरा टल गया था। वहीं 17 जुलाई को कांग्रेस महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रियंका गांधी इस प्रदर्शन की अगुआई कर सकती हैं।