देहरादून, 8 अगस्त: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की संचालन समिति की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने विकास योजनाओं का रोडमैप रखने के साथ ही उत्तराखंड के लिए अलग विकास मॉडल बनाने की पैरवी की. उन्होंने हिमालयी राज्यों की इकोलॉजी, जनसंख्या धनत्व, फ्लोटिंग पॉपुलेशन और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए विकास का मॉडल बनाने को कहा, जो विज्ञान प्रौद्योगिकी पर आधारित हो. सीएम ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष गोष्ठी का आयोजन उत्तराखंड में करने भी प्रस्ताव रखा.
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अपेक्षा के अनुसार 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए सरकार ने आदर्श उत्तराखंड 2025 को अपना मंत्र बनाकर त्वरित गति से कार्य प्रारंभ किया है. आजादी के अमृत काल के लिए आगामी 25 वर्ष की योजना बनाना भी प्रदेश की प्राथमिकता है.
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं के आने से फ्लोटिंग जनसंख्या का दबाव अवस्थापना सुविधाओं पर पड़ता है. इस वर्ष चारधाम यात्रा में अब तक लगभग 30 लाख यात्री और कांवड़ यात्रा में करीब चार करोड़ कांवड़िए आए हैं. इस संख्या में निरन्तर वृद्धि होने की संभावना है. इसके लिए राज्य के लिए अलग विकास मॉडल बनाया जाना चाहिए. राज्य के अधिकांश स्थानीय निकायों का आकार व वित्तीय संसाधन काफी कम हैं. इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
केंद्र पोषित योजनाओं में राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों का रखा जाए ध्यान :
मुख्यमंत्री ने राज्य के महत्वपूर्ण नीतिगत बिंदुओं पर नीति आयोग से आग्रह किया कि केंद्र पोषित योजनाओं के फॉरम्यूलेशन में राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 'वन स्किम फिट्स ऑल' के स्थान पर राज्य के अनुकूल 'टेलर मेड स्किम्स' तैयार होनी चाहिए. इससे पर्यटन, औद्यानिकी और सगंध पौध आधारित योजनाओं से राज्य को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा. जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए एक वृहद कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है. जिसमें चेक डैम व छोटे-छोटे जलाशय निर्माण शामिल हों. इसके लिए केंद्र सरकार का तकनीकी व वित्तीय सहयोग जरूरी है. उत्तराखंड पूरे देश को महत्वपूर्ण इको सिस्टम सर्विस उपलब्ध करा रहा है. राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन पारिस्थितिकी सेवाओं को भी देखा जाना चाहिए.
6400 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर चयनित:
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि विविधिकरण की अपार संभावनाएं हैं. मंडुआ, झिंगोरा, रामदाना, गहथ, राजमा के अलावा संगध व औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. सेब, कीवी फल के क्षेत्रफल और खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को विस्तारित किया जा रहा है. राज्य में 38500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज की फसलों का जैविक उत्पादन किया जा रहा है. राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात शुरू किया गया है. 6400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर का चयन किया गया. यह भी पढ़ें : Bihar Politics Crisis: क्या मुख्यमंत्री नीतीश फिर छोड़ेंगे राजग, अटकलों का बाजार गर्म
एरोमा पार्क में होगा 300 करोड़ का निवेश :
राज्य में 40 एकड़ में ऐरोमा पार्क स्थापित किया गया है. जिसमें ऐरोमा उद्योगों से लगभग 300 करोड़ का निवेश होगा. इससे पांच हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे. प्रदेश में पर्यटन व हॉर्टीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए हॉर्टी टूरिज्म विकसित किया जा रहा है. प्रदेश में आस्ट्रेलिया मैरिनो भेड़ों को आयात कर नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाया गया. इससे ऊन की गुणवत्ता व उत्पादकता बढ़ने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
आंगनबाड़ी केंद्रों से नई शिक्षा नीति की शुरूआत :
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 4457 आंगनबाड़ी केंद्र से नई शिक्षा नीति लागू की गई है. इन केंद्रों में नीति के अनुसार प्रवेशोत्सव, आरोही, कौशलम्, आनंद, विद्या सेतु कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं. ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय स्टूडियो व राज्य सभी जिलों के पांच सौ विद्यालयों में वर्चुअल क्लास रूम की स्थापना की जा चुकी है. 200 विद्यालयों में आठ व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं. उच्च शिक्षा में भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू कर दिया गया है. प्रदेश सरकार ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन के साथ एमओयू किया है. जिससे राज्य के युवाओं के लिए विदेशों में रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
टनल पाकिर्ंग पर काम कर रहा उत्तराखंड :
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड टनल पाकिर्ंग पर काम कर रहा है. इससे आने वाले समय में पर्वतीय क्षेत्रों में आसानी से पाकिर्ंग सुविधा मिलेगी. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा. केदारनाथ, बदरीनाथ एवं अन्य धार्मिक पर्यटक स्थलों पर पाकिर्ंग की गंभीर समस्या रहती है, इसके समाधान के लिए पहाड़ों में टनल पाकिर्ंग बनाई जाएगी.