नई दिल्ली, 27 सितम्बर: शोधकतार्ओं ने कहा है कि 60 साल के लोगों की अपेक्षा में 2021 में पैदा हुआ बच्चा औसतन दो से तीन गुना अधिक सूखे, लगभग तीन गुना अधिक बाढ़ और फसल खराब होने, और सात गुना अधिक गर्मी (Summer) का अनुभव करेगा. यह भी पढ़े: इस वजह से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ #99YearsLease, बनने लगें लोटपोट कर देने वाले मीम्स (Watch Video)
यह दुनिया भर की सरकारों द्वारा वर्तमान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी की प्रतिज्ञा के तहत दुनिया भर में जलवायु की स्थिति को लेकर यूके में ग्लासगो में आगामी विश्व जलवायु शिखर सम्मेलन कोप 26 में बातचीत का यह प्रमुख विषय होगा. विश्व के नेता पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लिए किए जाने वाले शमन और अनुकूलन उपायों पर चर्चा करेंगे.
इंटर-सेक्टोरल इंपैक्ट मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट (आईएसआईएमआईपी) के आंकड़ों के आधार पर, शोधकतार्ओं ने जर्नल 'साइंस' में दिखाया है कि आज के वयस्कों की तुलना में आज के बच्चे खराब जलवायु सीमाओं से बहुत अधिक प्रभावित होंगे. पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च, जर्मनी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, अध्ययन 'जलवायु चरम सीमाओं के संपर्क में अंतरजनपदीय असमानता' रविवार को प्रकाशित किया गया है.
व्रीजे यूनिवर्सिटिट ब्रुसेल के प्रमुख लेखक विम थियरी ने कहा कि हमारे परिणाम युवा पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे को उजागर करते हैं और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए उत्सर्जन में भारी कमी का आवाहन करते हैं. "हमारी गणना उस वास्तविक वृद्धि को कम आंकती है जिसका युवा लोगों को सामना करना पड़ेगा. "
काटजा फ्रेलर कहते हैं कि अच्छी खबर यह है कि हम वास्तव में अपने बच्चों के कंधों से बहुत अधिक जलवायु बोझ उठा सकते हैं यदि हम जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करते हैं. उदाहरण के लिए, वर्तमान अपर्याप्त जलवायु नीतियों के परि²श्य में, खतरनाक हीटवेव जो आज वैश्विक भूमि क्षेत्र के 15 प्रतिशत को प्रभावित करती हैं, 46 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं.
इसलिए सदी के अंत तक तिगुनी हो सकती हैं. फिर भी वामिर्ंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करना, जो कि दुनिया भर के लगभग सभी देशों द्वारा हस्ताक्षरित पेरिस जलवायु समझौते की महत्वाकांक्षा है, प्रभावित भूमि क्षेत्र को 22 प्रतिशत तक कम कर देगा. उन्होंने कहा कि यह आज की तुलना में अधिक है, लेकिन निरंतर वामिर्ंग की तुलना में काफी कम है.
ये विश्लेषण अपनी तरह का पहला है. आयु-निर्भर घटना जोखिम का आकलन करने के लिए, शोधकतार्ओं ने दुनिया भर में दर्जनों शोध समूहों के काम पर आईएसआईएमआईपी परियोजना भवन से बहु-मॉडल जलवायु प्रभाव अनुमानों का संग्रह लिया. विज्ञप्ति में कहा गया है कि शोधकतार्ओं ने इसे जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के देश-स्तर के जीवन-प्रत्याशा डेटा, जनसंख्या डेटा और तापमान प्रक्षेपवक्र के साथ जोड़ा है.