Budget 2020: संसद का बजट सत्र 2020 शुक्रवार से शुरू हो गया है. शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगी. इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया. आर्थिक सर्वेक्षण में साल 2020-21 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 6 से 6.5 रहने का अनुमान जताया गया है. इकोनॉमिक सर्वे में आगामी वित्तीय वर्ष में हालात चुनौतीपूर्ण बने रहने की संभावना जताई है. इस बजट से लोगों को काफी उम्मीद है. मोदी सरकार के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है.
बजट सत्र 2020 का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक रहेगा. बजट सत्र का दूसरा चरण 2 मार्च को शुरू होगा. बजट सत्र 3 अप्रैल को खत्म हो जाएगा. बजट को लेकर पूरे देश को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं. आम जनता से लेकर कारोबारियों की निगाहें बजट पर हैं. 2015 के बाद इस साल बजट शनिवार को आ रहा है. इसलिए शनिवार को शेयर बाजार खुले रहेंगे. आमतौर पर शनिवार को शेयर बाजार बंद रहते हैं.
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इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी, 2015 को शनिवार के दिन बजट पेश किया था और उस दिन शेयर बाजार खुले रहे थे. अर्थव्यवस्था के साथ शेयर बाजार को भी इस बजट से बहुत अधिक उम्मीदें हैं. इस बार का बजट ऐसे समय में आ रहा है जब देश मंदी से गुजर रहा है.
राजकोषीय घाटा: फिस्कल डेफिसिट को राजकोषीय घाटा कहते हैं. हर बार की तरह इस ही इस बजट में भी राजकोषीय घाटे को लेकर मोदी सरकार की योजना पर सबकी निगाहें होंगी. मोदी सरकार के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है. राजकोषीय घाटा जितना बढ़ेगा, सरकार के लिए फंड जारी करना कठिन होगा. दरअसल आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए जितनी भी छूटी की घोषणाएं की गईं, उससे सरकारी खजाने को लाखों करोड़ों का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कमाई भी घटी है. ऐसे में सरकार की चुनौती राजकोषीय घाटे को लिमिट में रखना है.
टैक्स: सरकार से उम्मीद है कि इनकम टैक्स रेट में कटौती का ऐलान किया जाए. कॉर्पोरेट टैक्स कट के अलावा सरकार से पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती की उम्मीद की जा रही है. हालांकि इस बीच कई जानकारों का यह भी मानना है कि खराब वित्तीय स्थिति के बीच सरकार शायद ही टैक्स की दरों कटौती करे.
एलटीजीसी: निवेशकों की तरफ से मांग की जा रही है कि सरकार एलटीजीसी को इस बजट में खत्म करे. आर्थिक जानकारों का कहना है कि इस टैक्स के खत्म होने से घरेलू निवेश में तेजी आएगी. वर्तमान में किसी शेयर को खरीदने के एक साल के भीतर बेचा जाता है तो उसपर 15 फीसदी का STCG टैक्स लगता है, जबकि अगर एक साल के बाद बेचा जाता है तो उसपर 10 फीसदी का LTCG टैक्स लगता है.
स्टैगफ्लेशन: मौजूदा समय में देश की महंगाई दर ऊंचे स्तर पर है. स्टैगफ्लेशन का मतलब है जब महंगाई दर ज्यादा हो और विकास की रफ्तार लगातार घट रही हो और डिमांड में कमी हो. हालांकि मांग में कमी ही आर्थिक सुस्ती का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है. दूसरी तिमाही में विकास दर छह सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है.
डीडीटी: डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. डीडीटी अभी 15 पर्सेंट हैं और इस पर सरचार्ज साथ में एजुकेशन सेस अलग से लगता है. इस तरह कुल मिलाकर कंपनियों को डिविडेंड जारी करने पर 20 पर्सेंट टैक्स देना पड़ता है. जानकारों का मानना है कि डीडीटी खत्म करने से शेयर बाजार तो मजबूत होगा ही साथ ही कंपनियों के हाथ में निवेश करने के लिए ज्यादा रकम रहेगी.