Budget 2020: दो वित्त अधिकारियों के बिना बजट बनाने में जुटी निर्मला सीतारमण के सामने ये हैं सबसे बड़ी चुनौतियां
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Photo Credits: ANI)

Budget 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दूसरे सत्र और बतौर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने दूसरे वर्ष का बजट 2020, पहली फरवरी को संसद में पेश करेंगी. हालांकि इस बार यह परंपरा निभा पाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि उनके सामने देश के कमजोर आर्थिक ढांचे को सशक्त बनाने की चुनौती तो होगी ही साथ ही वित्त मंत्रालय के दो प्रमुख स्तंभ सरीखे ‘एक्सपेंडिचर सचिव’ और ‘संयुक्त सचिव’ की अनुपस्थिति में संतुलित बजट का मसौदा तैयार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा. अब देखने वाली बात यह होगी कि वित्तमंत्री इन चुनौतियों से उबरते हुए कैसे एक लोकलुभावन बजट पेश करेंगी.

हलवा-रस्म के साथ ही 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट 2020 की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. लगभग छह साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी जीडीपी ग्रोथ को संजीवनी देने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के आम बजट की तैयारियां जोरों पर है. ऐसे महत्वपूर्ण समय में वित्त मंत्रालय के दो अहम सदस्यों की कमी वित्तमंत्री को जरूर खल रही होगी. क्योंकि बजट बनाने की प्रक्रिया में व्यय सचिव एवं संयुक्त सचिव का अहम योगदान होता है. गौरतलब है कि पूर्व एक्सपेंडिचर सेक्रटरी गिरीश चंद्र मुर्मू को नवगठित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद से यह पद रिक्त पड़ा हुआ है. मुर्मु ने 29 अक्टूबर 2019 को इस पद से इस्तीफा दिया था. उनके जाने के बाद अतानु चक्रवर्ती को व्यय विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.

गिरते ग्रोथ रेट पर नियंत्रण की चुनौती:

मोदी सरकार के बजट 2020 को लेकर न केवल विशेषज्ञों बल्कि हर वर्ग को काफी उम्मीदें हैं. भारत का ग्रोथ रेट लगातार घट रहा है और सरकार की पहली चुनौती इस पर लगाम कसना है. इसके बाद अर्थव्यवस्था में व्यापक स्तर पर सुधार लाने की चुनौतियां भी हैं. ज्ञात हो कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी पर पहुंच गया जो पिछले छह साल का न्यूनतम स्तर है. पिछले दिनों वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बातचीत के दरम्यान कहा था कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

इनकम टैक्स में राहत की चुनौती:

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आर्थिक गतिविधियों में व्यापक सुधार की जरूरत है. इसके साथ-साथ उन्होंने इनकम टैक्स रेट पर भी कुछ महत्वपूर्ण सुधार की गुंजाइश की बात बताई. विशेष रूप से कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद से इसकी मांग और तेज हो गई है.

उपभोग को सक्रिय बनाने की चुनौती:

हाल ही में रिजर्व बैंक नें चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया. वित्तमंत्री का कहना था कि उनकी कोशिश उपभोग को और सक्रिय बनाने की है. इस कोशिश के लिए हम जनता हाथों में ज्यादा पैसा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही हमने बैंकों को भी ज्यादा से ज्यादा कर्ज वितरित करने को कहा है.