नई दिल्ली: आम चुनाव पूर्व बजट (Budget 2019) होने के नाते आमजन को उम्मीद है कि जाते जाते सरकार कुछ बड़ा और अच्छा तोहफा उन्हें दे सकती है. इस नजरिये से देखा जाये तो सामान्य वेतन भोगी की बड़ी उम्मीद आयकर सीमा की छूट है. वेतन भोगियों को वर्तमान में आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख है, कयास लगाया जा रहा है कि यह छूट सीमा 5 लाख की जा सकती है. इस उम्मीद की एक बड़ी वजह है यह है कि 10 प्रतिशत आरक्षण बिल के अनुसार आय की सीमा 8 लाख यानी मासिक 63 हजार रुपये बताई गयी थी. ऐसे में 5 लाख की आयकर सीमा की छूट कोई बड़ी छूट नहीं कही जाएगी. लेकिन फिलहाल मध्यम वर्ग के लिए यह छूट एक बड़ी खुशी का सबब बन सकता है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या अंतरिम बजट में सरकार आयकर सीमा में यह छूट देने की स्थिति में है?
यूं तो सरकार की कोशिश यही होती है कि उसके हर बजट आम लोगों को खुश करने वाला हो, लेकिन अंतरिम बजट चूंकि चुनावी बजट भी होता है, लिहाजा हाथ बंधे होने के बावजूद उसकी पूरी कोशिश रहेगी कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को अच्छी और बड़ी सौगात देकर खुश रख सके. इस बजट में आयकर सीमा में छूट के अलावा वित्त मंत्री कृषि जगत को संकट से उबारने की पहल करते हुए कुछ रियायतें सरकार दे सकती है. जिसमें फसलों की सुरक्षा और किसान ऋण माफी दोनों पर फोकस हो सकता है. सरकार नहीं चाहेगी कि मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावी परिणाम की पृनरावृत्ति आम चुनाव पर हो.
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पिछले वर्ष के बजट में सरकार ने आयुष्मान भारत की घोषणा की थी, तब जीएसटी लागू हुए अधिक समय नहीं हुआ था. इसलिए कहा जा सकता है कि इस बजट 2019 में मोदी सरकार सामान्य वर्ग को ध्यान में रखकर बड़ी और लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है, मगर इस बजट का अंतरिम बजट होना उसकी योजनाओं का सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है.