Ram Navami Violence: बॉम्बे हाईकोर्ट ने रामनवमी झड़प की सीसीटीवी क्लिप को सुरक्षित रखने पर पुलिस से जवाब मांगा
Bombay High Court | Photto: PTI

मुंबई, 23 अगस्त: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई पुलिस को इस साल मार्च में इलाके में हुई रामनवमी हिंसा के दौरान मालवणी पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज क्लिप को संरक्षित करने पर दो सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. यह भी पढ़े: Mumbai Ram Navami Procession: मुंबई के मालवणी में रामनवमी के जुलूस के दौरान दो गुटों में झड़प, 20 लोग गिरफ्तार

खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख ने सामाजिक कार्यकर्ता जमील मर्चेंट द्वारा दायर एक रिट याचिका में निर्देश दिए, जिसमें मांग की गई थी कि मालवणी पुलिस पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज साझा करे न्यायाधीशों ने पुलिस उपायुक्त अजय बंसल से घटनाओं की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने पर एक पखवाड़े के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

याचिकाकर्ता के वकील बुरहान बुखारी ने तर्क दिया कि पुलिस ने एफआईआर में उनका नाम शामिल करके उनके मुवक्किल (व्यापारी) को घटना में फंसाने की साजिश रची थी मर्चेंट ने मुंबई के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, संयुक्त पुलिस आयुक्त एस.एन. चौधरी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तर क्षेत्र), लोकायुक्त और राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ डीसीपी और मालवणी पुलिसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.

बुखारी ने बुधवार को अदालत को बताया कि 9 अगस्त को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने मुंबई पुलिस को 30 मार्च, 10.30 बजे मालवणी पुलिस स्टेशन के अंदर हुई घटनाओं की सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग अपराह्न 31 मार्च, सुबह 10 बजे तक, 24 घंटे के भीतर या 10 अगस्त तक प्राप्त करने का आदेश दिया था गौरतलब है कि 30 मार्च की शाम को जब रामनवमी का जुलूस मालवणी सेक्टर 5 से गुजर रहा था तो दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी.

मालवणी पुलिस मौके पर पहुंची और लगभग 400 लोगों को हिरासत में लिया और याचिकाकर्ता व्यापारी सहित 25 को गिरफ्तार किया गया मर्चेंट ने दलील दी है कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया था, जबकि वह सहयोग कर रहे थे और वास्तव में उस शाम वहां हिंसा कर रही हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस की मदद कर रहे थे.

उन्होंने आगे दावा किया कि मालवणी पुलिस उस रात के सीसीटीवी फुटेज को दबा रही है, क्योंकि इससे वह मामले से बरी हो जाएंगे, क्योंकि कुछ राजनीतिक नेता वहां मौजूद थे और पुलिस पर उनका नाम शामिल करने के लिए दबाव डाल रहे थे हालांकि, विशेष लोक अभियोजक कौशिक म्हात्रे और सहायक लोक अभियोजक (मिस) पी.पी. शिंदे ने मर्चेंट के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था.