यूपी में अब मुसल्मानों को रिझाने के लिए सूफी रास्ता अपनाएगी भाजपा
Bharatiya Janata Party

लखनऊ, 10 फरवरी : उत्तर प्रदेश में बीजेपी अब मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए सूफी रास्ता अपनाएगी. सूफीवाद एक रहस्यवादी इस्लामी सोच है जिसमें मुसलमान ईश्वरीय स्नेह की सच्चाई को खोजने की कोशिश करते हैं. भाजपा ने अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाकों में मुख्य रूप से 'सूफी सम्मेलन' आयोजित करने के लिए कहा है.

एक अनुमान के अनुसार, राज्य के 1.6 लाख से अधिक मतदान केंद्रों में से लगभग 30,000 में मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. ये 'कौमी चौपाल', 'ग्राम चौपाल' के समान होंगी, जो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से जुड़ने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा आयोजित की गई थीं. यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक सेल के प्रमुख कुंवर बासित अली ने कहा कि पार्टी समाज के सभी वर्गों तक पहुंच बना रही है. यह भी पढ़ें : Sachin Tendulkar Tweets: टीम इंडिया को RRR की तिकड़ी ने नागपुर टेस्ट में दिलाई बढ़त, सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट करके बढ़ाया मनोबल, देखें Tweet

उन्होंने कहा, "सूफीवाद के फॉलोअर्स पार्टी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. हम आने वाले दिनों में उन तक पहुंचने के लिए एक अभियान की योजना बना रहे हैं." सूफी अनिवार्य रूप से दरगाहों से जुड़े हुए हैं, जो वहाबी मुसलमानों के विपरीत है, जो दरगाहों को इबादत के स्थान के रूप में मानते हैं, जो इस्लाम में प्रतिबंधित है. उनका मानना है कि दरगाह पर जाना सूफी संत की कब्र पर इबादत करना है, जबकि इस्लाम केवल अल्लाह की इबादत करने की अनुमति देता है.

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मुस्लिमों के बीच सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्ग तक कल्याणकारी उपायों को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की वकालत करने के महीनों बाद भाजपा पहले से ही पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास कर रही है. यहां तक कि भाजपा ने निकाय और लोकसभा चुनावों के लिए अपना चुनावी खाका भी तैयार किया है. विश्लेषकों ने कहा कि बीजेपी उन मुसलमानों को लुभाने की कोशिश कर रही है जो विपक्ष, मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी के पीछे भारी रूप से एकजुट हो रहे हैं.