Bihar: 'उम्मीद' ने छात्राओं में जगाई उम्मीद, पढ़ी लिखी महिलाओं ने पढ़ाने का उठाया बीड़ा
प्रतिकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो )

मुजफ्फरपुर, 3 जुलाई : बिहार (Bihar) में जब कोरोना के दौरान स्कूल, कॉलेज बंद हो गए, तब उन क्षेत्रों के छात्र, छात्राओं को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा, जहां ऑनलाइन क्लास संभव नहीं हो पा रहा था. ऐसे में मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के कई प्रखंड में पढ़ी लिखी लडकियां ऐसे छात्राओं के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई और ऐसी बेटियों को पढ़ने का बीड़ा उठाया. इन सेंटरों के प्रारंभ होने के कारण कोरोना काल में ऐसी बेटियों की पढ़ाई जारी रही और वे 10 वीं और 12 वीं में सफल भी हुई. ज्योति महिला समाख्या संस्था की पूनम बताती हैं कि प्रारंभ में स्कूल, कॉलेज बंद होने के कारण जब 10 वीं 12 वीं में पढ़ाई कर रही बेटियों की समस्याओं की जानकारी मिली, तब इनके लिए सेंटर चलाने पर विचार किया गया और गांव की पढ़ी लिखी बहुओं और लड़कियों को इसके लिए चयनित कर इसका जिम्मा सौंपा गया.

बोचहा प्रखंड के पराती गांव में ऐसी ही सेंटर चला रही हुस्नतारा आईएएनएस को बताती हैं कि पहले कुछ ही छात्राएं इस सेंटर से जुड़ी लेकिन इसके बाद छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई. वे बताती हैं कि अब तो आसपास के गांवों की लड़कियां भी सेंटर में पहुंचने लगी. उन्होंने बताया कि प्रारंभ में जहां जगह मिलता थाा, वहीं पढाया करती थी लेकिन बाद में सेंटर घर पर ही चलने लगा. हुस्नतारा की इस मेहनत का रंग भी अब देखने को मिला. हुस्नतारा बताती हैं कि इस सेंटर में 10 से लेकर 12 वीं तक की छात्राओं को पढाया गया, जिसमें सभी छात्राओं ने 10 चीं और 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण हो गई. कुछ महिलाओं द्वारा प्रारंभ किए गए इस अभियान का नाम 'उम्मीद' दिया गया है. यह भी पढ़ें : करोड़ों कमाने के बावजूद किराए के मकान में रहते हैं बॉलीवुड के ये स्टार्स, लिस्ट में ये नाम देखकर चौंक जाएंगे आप

ज्येाति महिला समाख्या से जुडी अनिता बताती हैं कि पिछले साल अक्टूबर-नवंबर महीने में कई लड़कियों ने पढाई छोड दी थी और काम करने लगी थी. ऐसी लड़कियों को देखकर दुख हुआ और ऐसा करने का निर्णय लिया गया. वे कहती हैं कि प्रारंभ में गांव में पढ़ी लिखी लड़कियों ओर बहुओं से लड़कियों को पढ़ाने के लिए संपर्क किया गया जब वे तैयार हो गई तब ऐसी छात्राओं को सूचना दी गई. पूनम आईएएनएस को बताती हैं कि बोचहा और औराई में ऐसे केंद्र चल रहे हैं जबकि बंदरा और मुसहरी में ऐसे केंद्र खोलने की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए गांवों में पढ़ी लिखी लड़कियों की तलाश की जा रही है. वे कहती हैं कि प्रारंभ में सेंटर चलाने में परेशानी का सामना करना पडा, लेकिन बाद में कई संस्थाओं और लोगों ने भी मदद की. कई स्थानों पर छात्रों, छात्राओं को पुस्तक भी उपलब्ध कराए गए. उन्होंने कहा कि हमारी योजना सेंटर में आठवीं से 12 वीं तक की पढाई कराने की है जिससे छात्र-छात्राओं की शिक्षा में व्यवधान नहीं हो. उन्होंने कहा कि इन सेंटरों में छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है.