भीमा-कोरेगांव हिंसा: पहली वर्षगांठ पर छावनी में तब्दील हुआ पूरा शहर, इंटरनेट सेवाएं बंद
भीमा-कोरेगांव हिंसा की पहली बरसी (Photo Credits: PTI)

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगांव में भड़की जातीय हिंसा (Bhima-Koregaon Violence) के एक साल पूरे होने वाले हैं. इससे पहले पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है. पुलिस ने भीमा कोरेगांव के विजय स्तंभ और उसके आसपास के इलाकों  में कुल 7000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं. स्थानीय प्रशासन ने एहतियातन इंटरनेट सेवा भी रोक दी है. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जिले की सीमाओं पर पुलिस ने चेक पोस्ट बनाया हैं. इसके साथ ही निगरानी के लिए 500 सीसीटीवी कैमरे, 11 ड्रोन कैमरे और 40 वीडियो कैमरे लगाए गए हैं.

जानकरी के मुताबिक भीमा कोरेगांव युद्ध की जीत की सालगिरह मनाने के लिए मंगलवार को भीमा कोरेगांव में करीब 10 लाख लोगों के जमा होने का अनुमान है. बता दें कि पिछले साल इस मौके पर वहां हिंसा हो गई थी. इसमें एक व्यक्ति की जान चली गई थी. पिछली घटना को देखते हुए पुलिस ने पहले ही कई लोगों को हिरासत में ले लिया हैं.

विजय स्तंभ पुणे-अहमदनगर रोड पर पेरने गांव में स्थित है. उसका पेशवा और ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं के बीच 1818 में हुई भीमा-कोरेगांव लड़ाई की याद में निर्माण किया गया था. इस इलाके में एक जनवरी को उस समय हिंसा भड़क उठी जब दलित समूहों ने लड़ाई के दौ सौ साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था.

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इस साल भी दलित समाज से जुड़े कई नेताओं ने स्तंभ के पास सभा करने की इजाजत मांगी है. इस सूची में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, प्रकाश अम्बेडकर, आनंदराज अम्बेडकर शामिल होने की खबर हैं. वहीं हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीम आर्मी सेना प्रेसिडेंट चंद्रशेखर आजाद को पुणे में सभा करने से रोक दिया है.

इसलिए भड़कती है हिंसा-

पिछले करीब 200 साल से पुणे से सटे भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी को शौर्य दिवस मनाया जाता है. 1 जनवरी, 1818 के दिन ब्रिटिश सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी. अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे. इस कारण हर साल इस दिन यहां तनाव का माहौल रहता है.