अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रामलला के वकील से जमीन पर कब्जे के सबूत की मांग की. दरअसल, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि रामलला का जन्मस्थान कहां है? इस पर पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था. वैद्यनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वैद्यनाथन से जमीन पर कब्जे के सबूत पेश करने को कहा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ कहा कि आप सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को नकार रहे हैं, आप अपने दावे को कैसे साबित करेंगे. यह भी पढ़ें- अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद: दैनिक सुनवाई पर वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने जताई आपत्ति
बता दें कि हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. इससे पहले, रामलला विराजमान की ओर से ही वरिष्ठ वकील के परासरन ने पीठ से कहा कि उसे अपने समक्ष आये सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि इस प्रकरण के तीनों पक्षकारों– सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला– के बीच बराबर बराबर बांटने का निर्देश देने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है.