इन मुद्दों को नजरअंदाज करना बीजेपी को पड़ा भारी, 3 राज्यों में उम्मीद से खराब प्रदर्शन
हार के बाद मंथन शुरू ( फोटो क्रेडिट: facebook )

मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावी परिणाम ने बीजेपी को मंथन करने पर मजबूर कर दिया है. बीजेपी को सपने में भी नहीं लगा था कि छतीसगढ़ और राजस्थान जैसे अपने ही गढ़ में उनके इतनी करारी हार का मुंह देखना पड़ेगा. अब हार के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. जैसे कि इस हार के पीछे सबसे बड़ी वजह क्या है. वैसे अगर पिछले कुछ महीनों पर नजर डालें तो कई ऐसे मुद्दे थे जिपर मोदी सरकार समेत राज्यों सरकार में लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं.

राजस्थान 

राजस्थान की बात अगर करें तो फिल्म पद्मावत का नाम अपने आप जुबान पर आ जाता है. जहां पर बीजेपी की सरकार को लेकर राजपूत सड़को पर उतर गए थे. जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ भी की. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पार्टी में नाराजगी. हार की एक वजह इसे भी माना जा सकता है. जिसके कारण कई नेताओं ने पार्टी को छोड़ के कांग्रेस से हाथ मिला लिया. वहीं अंदरूनी कलह पर भी पार्टी में जमकर राजनीती हो रही थी. शायद यही कारण है था कि बीजेपी में अंतिम नारा था कि राजे की एक और समस्या है कि वो पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम लोगों के साथ खुलकर बातचीत नहीं कर पातीं. जिसके कारण राजे एंटी इनकंबेंसी की लहर के सामने खड़ी नजर आ रही हैं.

यह भी पढ़ें:- लोकसभा चुनाव 2019: क्या फिर बीजेपी का सहारा बनेंगे श्री राम

जानें किस पार्टी को मिला कितने सीट: यहां क्लिक करें 

छतीसगढ़ 

रमन सिंह सरकार पर भी किसानों की नाराजगी उन पर इस बार भारी पड़ी है. किसान लगातार फसलों के दाम में बढ़ोतरी को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर विरोध किया था. वहीं रमन सिंह की हार का बड़ा कारण इस बार नक्सलवाद पर नाकामी भी रही. जिसके कारण बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में रमन सिंह का इस तरह सूपड़ा साफ हो गया.

फिलहाल राजस्थान और छतीसगढ़ में मिली जीत के बाद से कांग्रेस के हौसलें बुलंद हो गई है. पार्टी अब इन सूबे में अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुट गई हैं. वहीं आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस अपनी नई रणनीति के साथ फिर से केंद्र सरकार को घेरने और जीत का परचम लहराने के सपने बुनने लगी.