नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक के करोड़ों रुपए लेकर रफूचक्कर हुए मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार की कोशिशों को झटका लगा है. दरअसल एंटीगुआ ने पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को सौंपने से इनकार कर दिया है. एंटीगुआ ने कहा कि भारत और उसके बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है इसलिए चोकसी को भारत के हवाले नहीं किया जा सकता है.
प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार एंटीगुआ ने मेहुल को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार करने से भी इनकार किया है. एंटीगुआ ने ये भी कहा है कि उनके देश का संविधान चौकसी की हिफाजत करता है, क्योंकि चौकसी को नियमों के मुताबिक नागरिकता दी गई है लिहाजा न तो उसका पासपोर्ट रद्द हो सकता है और न ही उसे प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था की मेहुल चोकसी को भारत लाने के लिए एंटीगुआ के साथ प्रत्यर्पण संधि साइन की जा चुकी है. विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव मनप्रीत वोहरा 3 अगस्त को ऐंटीगा गए थे और वहां के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी. वोहरा ने ऐंटीगा के विदेश मंत्री ईपी चेट ग्रीन से चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर चर्चा की थी. बैठक के दौरान वोहरा ने ग्रीन को प्रत्यर्पण आवेदन भी सौंपा था.
गौरतलब हो कि पंजाब नेशनल बैंक के 13,500 करोड़ रुपये के घोटाले में मास्टरमाइंड नीरव मोदी के साथ मेहुल चोकसी का भी नाम है. वह भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी का रिश्तेदार है और गीतांजलि जेम्स कंपनी का मालिक भी है. आरोप लगने के बाद चोकसी कथित तौर पर जनवरी 2018 के प्रथम सप्ताह में एक भारतीय पासपोर्ट पर विदेश भाग गया था. चोकसी ने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता हासिल की थी.
मेहुल को नागरिकता दिए जाने के बारे में वहां की सरकार ने सफाई दी था कि भारत की ओर से पुलिस क्लियरेंस मिलने के बाद ही मेहुल को नागरिकता दी गई है. यदि यहां की सरकार को मालूम होता कि उसके खिलाफ घोटाले का आरोप है तो उसे एंटीगा की नागरिकता नहीं दी जाती.