CAA Protest: जंतर- मंतर पर जुटे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी, सरकार के फैसले पर जताया विरोध
नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रही शाहीन बाग की महिलाएं बुधवार को जंतर मंतर पर जमा हुईं। यहां प्रदर्शनकारी महिलाओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर विख्यात शायर फैज अहमद फैज की नजम 'हम देखेंगे' भी पढ़ी
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रही शाहीन बाग की महिलाएं बुधवार को जंतर मंतर पर जमा हुईं। यहां प्रदर्शनकारी महिलाओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर विख्यात शायर फैज अहमद फैज की नजम 'हम देखेंगे' भी पढ़ी। प्रदर्शनकारियों ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के आने पर अपना विरोध जताया और उनके खिलाफ नारेबाजी भी की. बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले संसद भवन के नजदीक जंतर-मंतर पर सीएए का विरोध करने पहुंची इन महिलाओं को छात्रों का भी साथ मिला। बड़ी संख्या में जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र सीएए के खिलाफ जंतर-मंतर पहुंचे.
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ धरने पर बैठी 70 वर्ष से अधिक उम्र की तीन बुजुर्ग महिलाएं भी बुधवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहीं. इन तीनों वृद्ध महिलाओं को लोग शाहीन बाग की दादियों के नाम से जानते हैं. प्रदर्शन करने आईं सैकड़ों महिलाओं ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और सीएए के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद महिलाओं ने छात्रों के साथ फैज अहमद फैज की नजम 'हम देखेंगे' का पाठ भी किया. यह भी पढ़े: CAA Protest: शाहीन बाग में पिस्टल लहराने वाले आरोपी की सफाई, कहा ‘मैं वहां सड़क खोलने की बात करने गया था’
दिल्ली के कई छात्र संगठनों ने संयुक्त रूप से सीएए के खिलाफ अपना विरोध जताया। छात्र यहां अलग-अलग गुटों में पहुंचे थे, जोकि बिना किसी नेतृत्व के अपना विरोध दर्ज करा रहे थे.बुधवार सुबह से ही जंतर-मंतर पर भारी संख्या में छात्रों ने जुटना शुरू कर दिया था. छोटी-छोटी टोलियों में बंटे इनमें से कई छात्रों ने अपना विरोध जताने के लिए संगीत का सहारा लिया.
वे ढफली, ढोल और मंजीरों की थाप के बीच नारेबाजी करते रहे. कुछ छात्रों ने तस्वीरें और पोस्टर बनाकर यहां मौजूद लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. दिल्ली विश्वविद्यालय में एमए की छात्रा कनिष्ठा ने नागरिकता संशोधन कानून पर अपना मत रखते हुए कहा "सरकार को सभी धर्मों के शरणार्थी इस कानून के अंतर्गत लेने चाहिए थे. भेदभावपूर्ण तरीके से इस कानून को लागू किया गया है, जिससे पूरे विश्व में हमारे देश की छवि धूमिल हुई है. जामिया की छात्रा शाजिया ने कहा कि वह नागरिकता कानून को एकतरफा मानती हैं, इसलिए अपना विरोध दर्ज करने यहां पहुंची हैं.