Air Pollution: प्रदूषण फैलाने वाली 5,000 कारों का चालान काटा गया, फिर भी एनसीआर बना 'गैस चैंबर'
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नोएडा/गाजियाबाद, 4 नवंबर : देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) प्रदूषण के कारण गैस चैंबर में तब्दील हो गया है. हालात संभालने के लिए दिल्ली और नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में भी ग्रेप-3 लागू कर दिया गया है. आंशका जताई जा रही है कि दिल्ली, नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में लॉकडाउन जैसे हालात बन गए हैं. गाजियाबाद के लोनी इलाके में हालात बद से बदतर बने हुए हैं. उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक एक्यूआई 500 के करीब पहुंच गया है. ग्रेटर नोएडा में भी यही हाल है. ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-3 में भी उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक एक्यूआई 500 के पास पहुंच गया है. दिल्ली, नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में हालात चिंताजनक हो गए हैं. चारों तरफ धुआं ही धुआं नजर आ रहा है. लोगों की आंखें जल रही है. सांस लेने तक में तकलीफ हो रही है. ऐसा लग रहा कि मानो पूरा एनसीआर गैस के चैंबर में तब्दील हो गया हो.

ऐसे में केंद्रीय वायु प्रदूषण आयोग ने पूरे एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान-3 (ग्रेप-3) लागू कर दिया है. ग्रेप-3 के लागू होते ही निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है. साथ ही बीएस-3 और बीएस-4 वाले वाहनों को चलाने पर पाबंदी लगा दी गई है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दो दिनों में दिल्ली, नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण भयंकर रूप धारण कर सकता है. हालात और ज्यादा खराब होंगे. ऐसे में नागरिकों को सलाह दी जा रही है कि वाहनों का कम से कम प्रयोग करें. इस दौरान डीजल से चलने वाले वाहन तो बिल्कुल भी ना चलाएं. जरुरी ना हो तो घर से बाहर ना निकले. ग्रेटर नोएडा की हवा में पार्टीकुलेट मैटर 10 (पीएम 10) काफी बढ़ गया है, जो धूल और धातु के कण होते हैं. शनिवार को ग्रेटर नोएडा में पीएम 10 का स्तर ज्यादातर समय 500 से ऊपर रहा. जबकि, पीएम 10 का स्तर 200 से नीचे सामान्य माना जाता है. पीएम 2.5 का स्तर भी शाम के बाद 500 पहुंच रहा है. यह भी पढ़ें : UP: यूपी सरकार का दावा, प्रदेश की 44 हजार से ज्यादा सड़कों को किया गया गड्ढामुक्त

इसकी सीधी वजह कूड़ा जलाना, धूल उड़ना और निर्माण कार्य से होता है. पीएम 2.5 और पीएम 10 के बढ़ने के कारण आम नागरिकों का बाहर निकलना दूभर हो रहा है. उन्हें सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन महसूस हो रही है और सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों और बच्चों को हो रही है.

एनसीआर समेत नोएडा और गाजियाबाद में स्मॉग की चादर ने पूरे वातावरण को ढक रखा है. लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. गाजियाबाद की अगर बात करें तो यहां पर एक्यूआई बद से बदतर हालत पर पहुंच गया है.

गाजियाबाद जिला प्रशासन लाख दावे और वादे करे, लेकिन बढ़ते प्रदूषण को रोक पाने में प्रशासन की कोशिश नाकाम दिखाई दे रही है. गाजियाबाद का लोनी सबसे ज्यादा प्रदूषित है. यहां पर आंकड़ा 500 के पास पहुंच गया है. लोनी से एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक्यूआई सेंटर के बाहर ही वॉटर स्प्रिंकलर चलता हुआ दिखाई दे रहा है. जिसके जरिए कोशिश की जा रही है कि एक्यूआई को मापने वाली मशीन आसपास के प्रदूषण को साफ करके बढ़ते आंकड़ों को कम करता हुआ दिखाई दे. लोनी में नगर पालिका कार्यलय पर एक्यूआई मॉनिटरिंग सिस्टम लगा है, उसी के पास लगातार वाटर कैनन चलाकर मशीन को बेवकूफ बनाया जा रहा है, ताकि आंकड़े सही दर्शाए जाएं.

नोएडा प्राधिकरण ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों का उल्लंघन करने पर 272 स्थलों पर एक करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया है. बीते तीन दिनों में नियमों के उल्लंघन के आरोप में 40 स्थलों पर 22.75 लाख का जुर्माना लगाया गया है. यही नहीं, क्षेत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण पर लापरवाही पर वर्क सर्कल तीन के वरिष्ठ प्रबंधन का वेतन भी रोक दिया गया है. प्राधिकरण के एसीईओ संजय खत्री ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के बाबत ऑनलाइन बैठक बुलाई. इसमें सभी विभागों के अधिकारी शामिल हुए. इसमें बताया गया कि रोजाना 60 स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव किया जा रहा है. साथ ही साथ महत्वपूर्ण निर्माण स्थलों पर 66 स्मोक गन लगाई गई है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम के तहत एनसीआर में संबंधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के निर्देश के तहत एक पखवाड़े में 5,000 से अधिक वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने 17 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक अभियान चलाया. डीसीपी ट्रैफिक अनिल कुमार यादव के मुताबिक इस अभियान के तहत 10 वर्ष पुराने 57 डीजल वाहन और 15 वर्ष पुराने 114 पेट्रोल वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. 1 नवंबर से शुरू हुए ट्रैफिक माह में भी चालान की कार्रवाई लगातार जारी है.

इन सबके बीच, बढ़ते प्रदूषण को लेकर अगर आपको घर से बाहर निकलना है तो तमाम तरह की सावधानियों का पालन करने के साथ ही बाहर निकलना होगा. नहीं तो आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. सीनियर फिजिशियन डॉ. अमित के मुताबिक अगर आपको मजबूरीबश ऐसे स्मॉग के माहौल में बाहर निकलना भी पड़ रहा है तो कुछ जरूरी बातें हैं. जिनका विशेष ध्यान रखें, जिनमें सबसे अहम है अपने चेहरे और आंखों को काफी बचाकर रखना होगा. जिसके लिए आपको मास्क का प्रयोग करना होगा. मास्क लगाने से आप प्रदूषण से कुछ हद तक बच पाएंगे.

उन्होंने बताया कि थोड़ी-थोड़ी देर पर ठंडे पानी से अपनी आंखों को धोते रहें ताकि अगर उनमें जलन हो रही है तो वह शांत हो सके. अपने ट्रैवल टाइम को काफी कम करिए ताकि आप अपने गंतव्य पर पहुंचकर अपने आप को सुरक्षित कर सकें. ऐसे स्मॉग के मौसम में सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है. कोशिश करें कि ज्यादा देर आपको बाहर न रहना पड़े. गले के सुधार के लिए काढ़ा और अन्य सिरप का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें.