Project Cheetah: नामीबिया के बाद दक्षिण अफ्रीका से चीते भारत आने के लिए तैयार हैं. सितंबर माह में नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए थे साथ ही ये भी कहा जा रहा था कि चीते अन्य अफ्रीकी देशों से भी जल्द भारत आने वाले हैं. दक्षिण अफ्रीका से जो चीते भारत आने वाले हैं उन्हें पिछले छः महीनों से क्वारैंटाइन करके रखा गया है और उन्हें लाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. चीतों की तादाद 12 हैं जिनमें से 5 नर और 7 मादा चीता हैं.
ये जानकारी पर्यावरण मंत्रालय ने दी है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की बैठक में कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों की तैयारियों पर एक प्रेजेंटेशन दी थी. इन चीतों के लिए सारी सुविधाओं के साथ-साथ 14 बाड़े तैयार किए गए हैं.
70 साल पहल भारत से चीते विलुप्त हो गए थें
धरती में सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाले जानवर को 1952 में सरकार ने विलुप्त घोसित कर दिया था. हालांकि सरकार ने कई प्रयास किए कि भारत की धरती पर दोबारा से चीते देखे जा सकें इसके लिए ईरान सरकार से एग्रीमेंट भी हुआ था. भारत को ईरानी चीते चाहिए थे और ईरान को भारतीय शेर चाहिए थे. लेकिन उस समय चीतों को लेकर मैदानी तैयारियां वैसी नहीं थी जैसी चाहिए थी और ईरान में भी सरकार बदल चुकी थी. लेकिन 70 साल बाद पिछले साल सितंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 8 चीतों की सौगात दी.
चीतों के लिए कूनो नेशनल पार्क ही क्यों चुना गया है ?
चीतों को ऐसा इलाका चाहिए जहाँ ऊंचे घास हो, बात अगर मौसम की करें तो इन्हें बैलेंस मौसम ही रास आता है जिसके लिए कूनो नेशनल पार्क एक अच्छा विकल्प है. इसके साथ ही चीतों के लिए मन पसंद भोजन हैं जैसे – नीलगाय, सांभर, चीतल, बंदर इत्यादि यानि शिकार का अच्छा बंदोबस्त है. क्षेत्र फल की बात करें तो कूनो के पास ही शिवपुरी जंगल और चंबल नदी है. आस-पास कोई गांव नहीं है जिससे इन चीतों को कोई नुकसान पहुंचे या चीतों की वजह से इंसानों को कोई परेशानी हो. कूनो में 70 से अधिक चीतों को रखने की क्षमता है.
नामीबिया से आए 8 चीते सभी कैसे रह रहे हैं ?
नामीबिया से आए 8 चीते पूरी तरह स्वस्थ और खुद को भारतीय वातावरण में ढाल रहे हैं. नवंबर में इन चीतों को क्वारैंटाइन से हटा कर बड़े बड़ों में छोड़ा जा चूका है. साथ ही इन चीतों का नामकरण भी किया गया है.