ISRO Aditya L1 Satellite: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चांद के बाद अब सूरज की स्टडी करेगा. इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इस महीने आदित्य-L1 उपग्रह के अगले प्रक्षेपण की योजना बना रहा है.
सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन
उल्लेखनीय है कि यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय मिशन होगा. आदित्य-L1 उपग्रह सौर वायु मंडल, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के चारों ओर पर्यावरण पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अपने साथ सात उपकरण ले जाएगा. इसे पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 बिंदु के चारों ओर एक सौर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
यह सूर्य के अंदरूनी हिस्सों से बहुत तेजी से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections -CMEs) को ट्रैक करेगा. इसके अलावा यह मिशन सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करेगा और इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगा. यह उपग्रह, सौर लपटों के कारण धरती के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों और इलेक्ट्रॉनिक संचार में पड़ने वाली बाधाओं का भी अध्ययन करेगा.
#ISRO is planning its next launch of the Aditya L1 satellite this month.
It will be the first space-based Indian mission to study the Sun. pic.twitter.com/wByfe9549v
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 16, 2023
109 दिन में 1.5 मिलियन KM से अधिक की दूरी तय करेगा आदित्य-L1
प्रक्षेपण के बाद इस उपग्रह को L1 नामक कक्षा तक पहुंचने में लगभग 109 दिन लगेंगे, जो 1.5 मिलियन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा. जानकारी के लिए बता दें फिलहाल, आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान, बेंगलुरु, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंच गया है. इस उपग्रह को यू.आर. में असेंबल और राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) एकीकृत किया गया था. बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ. एम शंकरन ने आदित्य-L1 मिशन से जुड़ी यह जानकारी दी है.
L1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रहेगा आदित्य-L1
आदित्य-L1 अपने मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु L1 यानी सौर प्रभामंडल कक्षा में रहेगा. यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है. L1 बिंदु के चारों ओर सौर प्रभामंडल कक्षा में आदित्य-L1 को बिना किसी ग्रहण या ग्रहण वाले सूर्य पर लगातार निगाह रखने का प्रमुख लाभ होगा. दरअसल, इससे हमें वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अत्यधिक लाभ मिल सकेगा.
आदित्य-L1 विद्युत चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा.
रिमोट सेंसिंग पेलोड
1. दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (YLC)
2. सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
3. सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
4. उच्च ऊर्जा L1 कक्षीय एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
इन-सीटू पेलोड
5 आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (ASPEX)
6 आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (PAPA)
7 उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर
उम्मीद की जा रही है कि आदित्य-L1 पेलोड के सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार की समस्या को समझने के लिए बिंदु L1 का उपयोग करते हुए सूर्य के रहस्यों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित करेगा. यह सूर्य के अंदरूनी हिस्सों से बहुत तेजी से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections -CMEs) को ट्रैक करेगा. इसके अलावा यह मिशन सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करेगा और इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगा. यह उपग्रह, सौर लपटों के कारण धरती के मौसम पर पड़ने वाले प्रभावों और इलेक्ट्रॉनिक संचार में पड़ने वाली बाधाओं का भी अध्ययन करेगा.