नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के जाबाज विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (Abhinandan Varthaman) के बारे में आज कौन नहीं जानता है. इस जाबाज अधिकारी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन सेना के दांत खट्टे कर दिए थे. नवभारत टाइम्स के अनुसार अभिनंदन वर्धमान जब पाकिस्तान की कस्टडी में थे तो उन्हें कुछ समय बाद ही इस्लामाबाद से रावलपिंडी भेज दिया गया. जहां वह लगभग चार घंटे तक पाकिस्तान की आर्मी कस्टडी में थे और करीब 40 घंटे पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (Inter-Services Intelligence) ने उनसे गहन पूछताछ की और टॉर्चर किया. इस दौरान वो भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) को लेकर कई कॉमेंट भी किए.
डिफेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी विमान एफ-16 को मार गिराने के बाद विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान जब पाकिस्तानी सेना के कब्जे में आए तो उन्हें पहले इस्लामाबाद में पाकिस्तान आर्मी की कस्टडी में रखा गया, लेकिन 4 घंटे के बाद ही आईएसआई के हाथों सौप दिया गया. इस दौरान आईएसआई की इन्वेस्टिगेशन सेल ने उन्हें करीब 40 घंटे स्ट्रॉन्ग रूम में रखा और उन्हें काफी टॉर्चर किया. खबर के अनुसार जब अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में गिरे तब उन्हें पकड़ने के लिए राइफल की बट से उनके माथे पर मारा गया था.
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खबर के मुताबिक, अभिनंदन ने यह भी बताया कि उनसे पूछताछ के दौरान यह भी कहा गया कि वह भले ही अपने बारे में कुछ जानकारी नहीं दे रहे हों लेकिन भारतीय मीडिया के जरिए उन्हें उनके परिवार से लेकर उनके पिता के रिटायर्ड एयर फोर्स ऑफिसर होने और उनके घर के पते सब की जानकारी मिल गई है. हालांकि अभिनंदन ने पाकिस्तानी सेना द्वारा चाय वाले वीडियो को सही बताया, लेकिन अभिनंदन ने दूसरे विडियो को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि वह फर्जी विडियो है.
बताया जा रहा है कि अभिनंदन को छोड़ने के बाद पाकिस्तान ने जो 1 मिनट 23 सेकंड का विडियो जारी किया उस बारे में अभिनंदन ने कहा कि यह उनकी आवाज नहीं है और यह उन्होंने कभी नहीं कहा. इस छोटे से विडियो में 15 से ज्यादा कट हैं जिसमें अभिनंदन पाकिस्तान आर्मी की तारीफ करते और भारतीय मीडिया की आलोचना करते सुनाई दे रहे हैं.
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खबर के अनुसार अभिनंदन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई वापस करने को तैयार नहीं थी और जब पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव पड़ा तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने हस्तक्षेप किया और अभिनंदन को भारत को वापस सौंपने का फैसला लिया.