Maharashtra Language Dispute: महाराष्ट्र में भाषा विवाद में 19 वर्षीय किशोर ने की खुदकुशी, तहसीन पूनावाला ने की कार्रवाई की मांग

पुणे, 21 नवंबर : महाराष्ट्र के कल्याण पूर्व के तिसगांव नाका इलाके में भाषा विवाद के चलते 19 साल के छात्र अर्णव खैरे ने आत्महत्या कर ली. आरोप है कि लोकल ट्रेन में वह मराठी में बात नहीं कर रहा था और इसी बात पर कुछ लोगों ने उसे पीट दिया और अपमानित किया. इस घटना के बाद वह इतना तनाव में आ गया कि घर लौटकर उसने आत्महत्या कर ली. इस घटना पर इंटरनेट पर्सनालिटी तहसीन पूनावाला ने गहरी संवेदना जताई.

तहसीन पूनावाला ने कहा कि जो बातें सामने आई हैं, उसके मुताबिक अर्णव को सिर्फ इसलिए मारा-पीटा गया क्योंकि वह हिंदी में बात कर रहा था. पूनावाला ने कहा कि जरा सोचिए, एक 19 साल के लड़के ने ऐसी स्थिति में क्या झेला होगा और उसके परिवार पर इस वक्त क्या बीत रही होगी? पूनावाला ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में भाषा को लेकर जो माहौल बन रहा है, वह खतरनाक होता जा रहा है. उन्होंने इस माहौल के लिए राज ठाकरे और मनसे को जिम्मेदार बताया. उनका कहना है कि भाषा के नाम पर नफरत फैलाने से समाज में हिंसा बढ़ती है और इसका परिणाम आज अर्णव की मौत जैसे मामले के रूप में सामने आया है. यह भी पढ़ें : केरल और यूपी में हो रहे एसआईआर पर चुनाव आयोग को ‘सुप्रीम’ नोटिस, 26 नवंबर को अगली सुनवाई

उन्होंने एक पुराने केस का भी जिक्र किया और कहा कि कुछ महीने पहले जावेद शेख के बेटे राहिल शेख पर एक मराठी लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा था, लेकिन उस मामले में क्या कार्रवाई हुई? पूनावाला ने ठाकरे परिवार पर भी कई राजनीतिक आरोप लगाए. उनका कहना है कि उनके बेटे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं, बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज करवाते हैं और इसलिए आम मराठी मानूस की परेशानियों को नहीं समझते.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ठाकरे परिवार की राजनीति आम जनता से ज्यादा बीएमसी के बजट पर केंद्रित रहती है, जो 70,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है. यही वजह है कि ठाकरे परिवार के दोनों भाई कभी साथ आते हैं, कभी अलग होते हैं, क्योंकि असली लड़ाई सत्ता और कंट्रोल की है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाषा के नाम पर हिंसा न फैलाई जाए और समाज को बांटने वाले कदमों पर रोक लगनी चाहिए.

कर्नाटक की राजनीति पर बात करते हुए तहसीन पूनावाला ने कहा कि डी.के. शिवकुमार कांग्रेस के बेहद वफादार नेता हैं और उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने कर्नाटक चुनाव जीता था. उन्होंने सलाह दी कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसी गलतियां फिर न हों, इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार दोनों से बैठकर बातचीत करनी चाहिए.