8th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर को लेकर आई ये अपडेट, क्या इससे वाकई बढ़ जाएगी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी?
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8th Pay Commission News : केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) की रिपोर्ट आने में अभी समय है, लेकिन उससे पहले ही 'फिटमेंट फैक्टर' (Fitment Factor) को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं. यह फैक्टर दरअसल वह गुणांक (Multiplier) होता है, जिसके ज़रिए मौजूदा मूल वेतन (Basic Pay) को गुणा कर नई सैलरी तय की जाती है. हालांकि, यह जानना बेहद ज़रूरी है, कि सिर्फ फिटमेंट फैक्टर बढ़ने से वास्तविक सैलरी वृद्धि का आकलन नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें महंगाई का असर भी शामिल होता है.

दरअसल, जब बात ‘वास्तविक वेतन वृद्धि’ (Real Pay Hike) की होती है, तो उसमें महंगाई दर (Inflation) का समायोजन आवश्यक होता है. यदि आप केंद्र सरकार के मौजूदा या संभावित कर्मचारी हैं, तो यह समझना ज़रूरी है कि केवल बड़े फिटमेंट फैक्टर से आपकी जेब में ज़्यादा पैसा नहीं आएगा.

6वें और 7वें वेतन आयोग के आंकड़ों से समझिए सच्चाई

7वें वेतन आयोग (7th CPC) ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर सिफारिश किया था, जिससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये तक बढ़ा दिया गया था. हालांकि, जब इसे उस समय की महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए देखा गया, तो वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 14.2% ही रही थी. इसके विपरीत, 6वें वेतन आयोग (6th CPC) में फिटमेंट फैक्टर लगभग 1.86 था, फिर भी उस अवधि के दौरान वास्तविक वेतन वृद्धि लगभग 54% थी. इससे यह स्पष्ट होता है, कि भले ही 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर कम था, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि अधिक थी.

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यह अंतर क्यों होता है?

वेतन आयोग जब वेतन संशोधन करता है, तो वह दो प्रमुख पहलुओं को ध्यान में रखता है, पहला मौजूदा वेतन और दूसरा महंगाई के प्रभाव की भरपाई यानी महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) है. केंद्र सरकार के कर्मचारी पहले से ही महंगाई भत्ता पाते हैं, इसलिए नया वेतन ढांचा तय करते समय आयोग मौजूदा वेतन और डीए को मिलाकर नया मूल वेतन निर्धारित करता है. ऐसे में फिटमेंट फैक्टर में एक हिस्सा केवल डीए के समायोजन के लिए होता है, और बाकी हिस्सा असली वेतन वृद्धि को दर्शाता है.

उदाहरण के तौर पर, 7वें वेतन आयोग का 2.57 का फिटमेंट फैक्टर दो भागों में बांटा जा सकता है. इसमें 2.25 उस समय के मौजूदा मूल वेतन और 125% डीए के समायोजन को दर्शाता है. शेष 0.32 का हिस्सा वास्तविक वेतन वृद्धि को दर्शाता है. इसका अर्थ यह हुआ कि 7वें वेतन आयोग में असली बढ़ोतरी केवल 14.2% थी, बाकि के शेष तो मौजूदा वेतन और डीए का पुनर्गठन (Restructuring) था.

अब 8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीद करें?

अब जब 8वें वेतन आयोग की प्रतीक्षा हो रही है, तो यह जरूरी है कि हम समझें कि सिर्फ फिटमेंट फैक्टर के आंकड़े देखकर नतीजे न निकालें जाए. चाहे यह फैक्टर 3 हो, 3.68 या उससे अधिक—अगर उसमें बड़ा हिस्सा सिर्फ डीए के समायोजन का है, तो वास्तविक सैलरी वृद्धि सीमित ही होगी. इसलिए, कर्मचारियों को केवल आंकड़ों के आधार पर भ्रमित नहीं होना चाहिए. असली ध्यान इस पर होना चाहिए कि फिटमेंट फैक्टर में से कितना हिस्सा वास्तविक वेतन वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है. 8वें वेतन आयोग से उम्मीदें ज़रूर हैं, लेकिन निर्णय सोच-समझकर, पूरी तस्वीर देखने के बाद ही किया जाना चाहिए.

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