पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद दुनिया भर में एक नासूर बनकर उभरा है. 11 जुलाई को आतंकवाद ने देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई (Mumbai) को एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस समय के साथ साथ बढ़ती चली गई. वह 11 जुलाई 2006 का दिन था. रोज की तरह मुंबई की लोकल रेलगाड़ियां (Local Trains) लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की जल्दी में दौड़ रही थीं. अचानक इन रेलगाड़ियों में से कुछ में एक के बाद एक कई बम धमाके (Bomb Blasts) हुए और घर जाने के लिए अपने अपने कार्यालयों से निकले लोगों में से बहुत से लोग जाने किस दुनिया में चले गए. इन धमाकों में 187 लोग मारे गए और करीब 700 लोग घायल हो गए.
बता दें कि यह सारे ब्लास्ट लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में करवाए गए थे. इस धमाके में कुल 90 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था. आतंकवादियों ने इन धमाको को अंजाम देने के लिए प्रेशर कुकर का उपयोग किया था. इस ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए 7 कुकर बम बनाए गए थे. कुकर बम बनाने के लिए आतंकियों ने आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों का प्रयोग किया था. यह भी पढ़ें- मुंबई की लाइफलाइन लोकल ट्रेन को आतंकी बना सकते हैं निशाना, खुफिया विभाग ने जारी किया अलर्ट
इस धामाके को अंजाम देने के लिए मुंबई के खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा रोड रेलवे स्टेशनों को चुना गया था. इस घटना के बाद पूरा देश दहल उठा था. नवंबर 2006 में आतंकवाद रोधी दस्ते ने आरोप पत्र दायर करके 30 आरोपियों को नामजद किया था जिसमें 17 भगोड़े भी शामिल थे. वहीं, एटीएस ने ब्लास्ट की जांच के बाद 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद अदालत ने 5 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई और 7 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी. एक को रिहा कर दिया गया था.
भाषा इनपुट