असम सीमा पर बचाए गए 7 रोहिंग्या बच्चे, मानव तस्करी की आशंका
रेलवे सुरक्षा बल (Photo Credit: Twitter)

अगरतला: रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि असम की सीमा से सटे उत्तरी त्रिपुरा में सुरक्षा बलों ने रोहिंग्या मुस्लिमों के सात बच्चों को हिरासत में लिया है. इसके साथ ही त्रिपुरा में असम-त्रिपुरा सीमा पर पिछले दो सप्ताह में 68 रोहिंग्या मुस्लिमों को हिरासत में लिया जा चुका है. इनमें ज्यादातर बच्चे हैं.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के आरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा, "धर्मनगर रेलवे स्टेशन (उत्तरी त्रिपुरा) पर रोहिंग्या समुदाय की छह लड़कियां और एक लड़के को हिरासत में लिया गया. सभी बच्चों की आयु 18 वर्ष से कम है और आगे की कानूनी औपचारिकता के लिए इन्हें रविवार को त्रिपुरा पुलिस के सुपुर्द किया जाएगा."

उन्होंने कहा कि ये बच्चे दलालों के साथ अगरतला से बस द्वारा धर्मनगर पहुंचे थे और रेलगाड़ी से दक्षिणी असम स्थित बदरपुर जाने वाले थे.

आरपीएफ अधिकारी ने कहा, "आरपीएफ जवानों की उपस्थिति भांपते हुए बच्चों के साथ आए दलाल मौके से भाग गए. हम बच्चों की भाषा भी नहीं समझ पा रहे हैं."

उन्होंने कहा, "उनके पास से बदरपुर की रेल टिकटें मिली हैं. वे शायद बिचौलियों की तस्करी के शिकार हुए हैं."

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी बच्चों को त्रिपुरा सरकार द्वारा संचालित बाल-सुधार गृह भेजा जाएगा.

उत्तरी त्रिपुरा के पुलिस अधीक्षक भानुपाड़ा चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस मामले की जांच करेगी कि ये बच्चे त्रिपुरा कैसे पहुंचे.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 22 जनवरी को नौ महिलाओं और 16 बच्चों सहित 31 रोहिंग्या मुस्लिमों को त्रिपुरा पुलिस के सुपुर्द किया था. ये रोहिंग्या 18 जनवरी से भारत-बांग्लादेश सीमा पर फंसे हुए थे.

वे अब न्यायिक हिरासत में हैं. असम पुलिस ने 30 अन्य रोहिंग्याओं को 21 जनवरी को त्रिपुरा-असम सीमा पर पकड़ा था. वे भी दक्षिणी असम में न्यायिक हिरासत में हैं.

बीएसएफ के अनुसार, पिछले वर्ष सीमापार से त्रिपुरा में प्रवेश करने के बाद 62 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया गया.

त्रिपुरा और बांग्लादेश के बीच 856 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है जिसमें 20 किलोमीटर के भाग को छोड़कर ज्यादातर भाग पर कंटीले तार लगे हुए हैं.