सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर सुनावई करते हुए कहा कि 'किसी महिला पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत बलात्कार और आईपीसी की धारा 376डी के तहत गैंगरेप का केस कैसे दर्ज किया जा सकता है.' सुप्रीम कोर्ट ने 61 वर्षिंय विधवा महिला को जमानत दे दी.
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ एक 61 वर्षीय विधवा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक महिला को उसके छोटे बेटे के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में सह-अभियुक्त के रूप में फंसाया गया था. धारा 376(2)एन में एक ही महिला से बार-बार बलात्कार करने पर सजा का प्रावधान है. UP: कॉलेज के फैशन शो में बुर्का-हिजाब पहन छात्राओं ने किया रैंप वॉक, मुस्लिम संगठन ने जताई आपत्ति
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रिया पटेल बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि आईपीसी की धारा 375 के तहत, बलात्कार केवल पुरुष द्वारा ही किया जा सकता है.
मामले के तथ्यों के अनुसार, फेसबुक के माध्यम से मुलाकात के बाद शिकायतकर्ता शुरू में विधवा के बड़े बेटे के साथ लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में थी, जो यूएसए में रहता है. वीडियो कॉल के माध्यम से 'विवाह' समारोह आयोजित करने के बाद, शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता विधवा के साथ रहना शुरू कर दिया. विधवा की याचिका में कहा गया है कि शिकायतकर्ता अपने बड़े बेटे से कभी नहीं मिली. इसी बीच विधवा का छोटा बेटा पुर्तगाल से उनसे मिलने आया.
विधवा की याचिका में कहा गया है कि बाद में शिकायतकर्ता और उसके परिवार ने उस पर अपने बड़े बेटे और शिकायतकर्ता के बीच अनौपचारिक विवाह को समाप्त करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया. पंचायत के समक्ष एक समझौतानामा हुआ और शिकायतकर्ता को 11,00,000 रुपये का भुगतान किया गया. इसके बाद शिकायतकर्ता के कहने पर छोटे बेटे और विधवा के खिलाफ बलात्कार और अन्य आरोपों में FIR दर्ज की गई.