26 नवंबर 2020 को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन सरकारी सेक्टर की इकाइयों के प्राइवेटाइजेशन और नए लेबर और कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में देशव्यापी हड़ताल करेंगे. उन्होंने 26 नवंबर और 27 नवंबर को दो दिवसीय किसान आंदोलन करने का भी फैसला किया है. इस हड़ताल के आह्वान के लिए वामपंथी और कांग्रेस कार्यकर्ता सोमवार को कोलकाता में सड़कों पर उतर आए. उन्होंने आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतलों को आग लगा दी, ताकि हड़ताल को असफल बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जा सके. यह भी पढ़ें: Bharat Bandh Today: कृषि विधेयकों के विरोध में उतरे किसान संगठनों ने क्यों किया भारत बंद का ऐलान, यहां जानें
शनिवार को संघ के नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया था और घोषणा की थी कि सभी क्षेत्रों से संबंधित कार्यकर्ता जो आवश्यक सेवाओं का हिस्सा हैं काम छोड़कर 26 नवंबर 2020 की हड़ताल में भाग लेंगे. 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों के अलावा, बीमा, बैंकिंग, रेलवे और राज्य और केंद्र सरकार के संस्थानों में कर्मचारियों की यूनियनें बंद में हिस्सा लेंगी, जो 25 नवंबर की आधी रात से शुरू होगी और 26 नवंबर की आधी रात को समाप्त होगी. यह भी पढ़ें: Bharat Bandh on September 25: कृषि बिल को लेकर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी, किसान यूनियन ने 25 सितंबर को बुलाया भारत बंद
लगभग 1.6 करोड़ श्रमिक भारत बंद ’के आह्वान का हिस्सा होंगे:
बयान के अनुसार बीजेपी सरकार के जनविरोधी, मजदूर विरोधी, राष्ट्रविरोधी और विनाशकारी नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर की हड़ताल की तैयारी पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ चल रही है. इस बीच किसी भी आपात स्थिति को रोकते हुए, प्राइवेट वाहनों के मालिकों को संघ के नेताओं ने सड़क पर गाड़ियां न चलाने का आग्रह किया है.
विशेष रूप से तेलंगाना में कैब, ऑटो-रिक्शा, ट्रक और अन्य प्राइवेट परिवहन 26 नवंबर को देशव्यापी बंद का समर्थन करेंगे. तेलंगाना ऑटो यूनियन के महासचिव ए सतीश रेड्डी के अनुसार उनकी नौ प्रमुख मांगें हैं, जिनमें परिवहन कर्मचारियों का बोर्ड और मोटर वाहन अधिनियम, 2019 को समाप्त करना शामिल है.
किसान संगठनों के एकजुट मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी आम हड़ताल को समर्थन दिया है. बयान में कहा गया, "यह खुशी की बात है कि किसान, जो पहले से ही मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, इस सरकार के मजदूर विरोधी उपायों के खिलाफ लड़ने वाले मजदूरों का समर्थन करते हैं."
26 नवंबर 2020 हड़ताल की प्रमुख मांगें:
- मजदूर विरोधी और किसान विरोधी बिलों का उन्मूलन
- प्रत्येक गैर-कर (non-tax paying) भुगतान करने वाले परिवार के खातों में 7,500 रुपये का भुगतान
- जरूरतमंद परिवारों को 10 किलो खाद्यान्न की मासिक आपूर्ति
- शहरी क्षेत्रों में हर साल 200 कार्यदिवस, अधिक वेतन और योजना के कार्यान्वयन के लिए MGNREGS का विस्तार
- रेलवे, बंदरगाहों, रक्षा, बिजली, विमानन, खनन और वित्त जैसे क्षेत्रों में प्राइवेटाइजेशन का अंत
- पीएसयू में कर्मचारियों की बर्खास्तगी के लिए मजबूर न करना और सभी के लिए पेंशन
26 नवंबर की हड़ताल में भाग लेने वाले यूनियनों में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUCUC), यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेल्फ-एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन (SEWA), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) शामिल हैं.