गुजरात दंगा: बाबू बजरंगी को नरोदा पाटिया मामले में सुप्रीम कोर्ट मिली जमानत
बाबू बजरंगी ( फोटो क्रेडिट - आईएएनएस )

गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों के दोषी बाबू बजरंगी (Babu Bajrangi) को सुप्रीम कोर्ट (supreme Court)  से गुरुवार को जमानत मिल गई है. कोर्ट से उसे यह जमानत स्वास्थ्य के आधार पर दी गई है. बाबू बजरंगी का असली नाम बाबूभाई पटेल है. नरोदा पाटिया दंगों (Naroda Patiya matter) के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद 21 साल की सजा काट रहा है. नरोदा पाटिया में 28 फरवरी, 2002 को उग्र भीड़ के हमले में 97 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी. बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट के 20 अप्रैल के उस फैसले को भी चुनाती दी है जिसमे उसकी दोषसिद्धी बरकरार रखते हुये उसकी उम्र कैद की सजा घटाकर बगैर किसी छूट के सश्रम 21 साल कर दी थी.

बता दें कि गुजरात पुलिस की तरफ जनवरी में गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि 2002 के नरोदा पटिया नरसंहार कांड में 21 साल की सजा पाए जेल में बंद बजरंग दल क पूर्व नेता बाबू बजरंगी अनेक बीमारियों की वजह से बेहद खराब स्थिति में है. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला है कि अनेक बीमारियों से ग्रस्त बजरंगी की दृष्टि सौ फीसदी खत्म हो गयी है. गौरतलब हो कि गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 अप्रैल को इस मामले में 29 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराने के निचली अदालत के निर्णय को सही ठहराया था जबकि बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी सहित 17 अन्य को बरी कर दिया था.

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क्या है नरोदा पाटिया दंगा

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में आग लगा दी गई थी, जिसमें झुलसकर अयोध्या से लौटे 59 साधुओं की मौत हो गई थी. इसी घटना का बदला लेने के लिए नरोदा पाटिया जनसंहार को अंजाम दिया गया था. वह देश के इतिहास में सांप्रदायिक दंगे की सबसे वीभत्स घटना थी. इस दंगे में शामिल लोगों को आपस में बात करते हुए सुना गया था, "देखो, इसको कहते हैं दिमागदार.. ट्रेन की बोगी में आग हम ही ने लगाई थी और उसमें हमारे जितने मरे, बदले के नाम पर हमने उससे कई गुना ज्यादा जान ले ली. यह बातचीत जिस शख्स ने सुनी, वह अब इस दुनिया में नहीं है. इसलिए इस षड्यंत्र का कोई सबूत नहीं है.