सांप के काटने, बाढ़ और आंधी से 10300 लोगों की मौत! ओडिशा में प्राकृतिक आपदाओं से भारी नुकसान

भुवनेश्वर: ओडिशा के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने गुरुवार को विधानसभा में जानकारी दी कि राज्य में पिछले तीन वर्षों में सांप के काटने, डूबने और प्राकृतिक आपदाओं के कारण 10,300 से अधिक लोगों की मौत हुई. उनके अनुसार, 2021-22 से लेकर 2023-24 तक कुल 10,302 लोगों की मौत हुई और संपत्ति का नुकसान ₹2,301.51 करोड़ हुआ, जो बाढ़, बिजली, सांप के काटने, आग और डूबने जैसी घटनाओं के कारण हुआ.

घटनाओं के कारण हुई जानमाल की हानि 

मंत्री ने बताया कि 2021-22 में 3,351 लोग मरे, 2022-23 में 3,649 मौतें हुईं और 2023-24 में 3,302 लोग मारे गए. इसमें सबसे बड़ी संख्या डूबने से हुई मौतों की थी, जो कि 5,534 थी. सांप के काटने से 3,356 लोगों की जान गई, जबकि बिजली गिरने से 874 लोग मारे गए. इसके अतिरिक्त, आग की घटनाओं में 429 लोगों की मौत, गर्मी की लहरों से 46 और नाव पलटने से 28 लोग मारे गए.

ओडिशा में आपदाओं की स्थिति 

ओडिशा में पिछले तीन वर्षों में चार प्रमुख चक्रवात आए - यास, गुलाब, जवाद और मचाउंग. चक्रवात यास में तीन लोगों की जान गई, जबकि अन्य तीन चक्रवातों से कोई जनहानि नहीं हुई. इसके अलावा, भूस्खलन से 6 मौतें और बाढ़ और भारी बारिश से 26 मौतें दर्ज की गईं.

आपदा प्रबंधन के उपाय 

आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कई महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख किया. इनमें सभी सरकारी विभागों और जिलों द्वारा आपदा प्रबंधन कार्य योजनाओं का निर्माण, सशक्त शुरुआती चेतावनी प्रणालियों की स्थापना और जिला और राज्य स्तर पर 24x7 नियंत्रण कक्षों की स्थापना शामिल हैं.

साइक्लोन ट्रैकिंग के लिए परदीप और गोपालपुर में डॉप्लर राडार स्थापित किए गए हैं. इसके अतिरिक्त, राज्य के छह जिलों के 26 तटीय गांवों को भारतीय महासागर सूनामी रेडी प्रोग्राम के तहत सूनामी के लिए तैयार घोषित किया गया है. राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना के तहत 122 चेतावनी सायरन टावरों की स्थापना की गई है.

राज्य में 844 बहुउद्देशीय चक्रवात शेल्टर और 25 जिलों में 20 ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ODRAF) यूनिट्स स्थापित की गई हैं. इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आग बुझाने के लिए अतिरिक्त फायर सर्विस कर्मियों की तैनाती की जाती है.

भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे?

मंत्री ने बताया कि ओडिशा सरकार ने 2015 में ही हीटवेव, बिजली गिरना, नाव पलटना, आंधी-तूफान, भारी बारिश, डूबना, सांप के काटने और आग को राज्य विशिष्ट आपदाओं के रूप में घोषित किया था. इसके बाद, राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से प्रभावितों को सहायता प्रदान की जाती है.

इन कदमों से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ओडिशा में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जनहानि को कम किया जा सकेगा और लोगों को आपदाओं से बचाने के लिए अधिक सुरक्षा उपाय किए जा सकेंगे.