शिया वक्फ बोर्ड ने राम जन्म भूमि पर बनाई फिल्म, रिलीज किया ट्रेलर
(Photo Credits: Facebook)

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने राम जन्म भूमि पर एक फिल्म का निर्माण किया है. अयोध्या में 1990 में हुए गोलीकांड के बाद उपजे हालातों पर आधारित फिल्म 'राम जन्मभूमि' का सोमवार को पोस्टर व ट्रेलर लॉन्च किया गया. वसीम रिजवी द्वारा निर्मित यह फिल्म दिसंबर में सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

राजधानी के एक होटल में फिल्म के पोस्टर व ट्रेलर लॉन्च के अवसर पर वसीम रिजवी ने कहा कि इस फिल्म में किसी समुदाय या फिर धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया गया है. समाज में फैली बुराइयों को फिल्म के माध्यम से सामने लाने की कोशिश की गई है. नफरत का माहौल खत्म हो यही फिल्म का उद्देश्य है.

उन्होंने बताया कि खास बात यह है कि वसीम रिजवी ने खुद फिल्म की कहानी लिखी और निमार्ता भी वही (वसीम रिजवी) हैं. साथ ही फिल्म के अधिकतम हिस्सों का फिल्मांकन भी अयोध्या में किया गया है.

उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर व दो नवंबर 1990 में कारसेवकों पर हुए गोलीकांड के बाद जो अयोध्या में हुआ उस पर यह फिल्म आधारित है. फिल्म में एक सदानंद शास्त्री हैं जो रिटायरमेंट के बाद राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में सक्रिय हैं. फिल्म में विलेन मौलाना जफर खान पाकिस्तानी एजेंट है, जो विदेशी चंदे पर साजिश करता है. उसे मस्जिद के नाम पर मुसलमानों को भड़काते हुए दिखाया गया है. वह हिन्दू और मुसलमानों में फसाद पैदा करने की कोशिश करता है. अंत में मुसलमान उसकी हकीकत जान लेते हैं और वह देश छोड़ पाकिस्तान भागने पर मजबूर हो जाता है.

फिल्म में वसीम रिजवी भी किरदार निभाते हुए नजर आएंगे. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का जो मामला न्यायालय में विचाराधीन है उससे जुड़े किसी भी पहलू को इस फिल्म में नहीं दिखाया गया है. वसीम ने कहा कि फिल्म के रिलीज होने के समय वे सभी राज्यों में इसे टैक्स फ्री करने के लिए आवेदन करेंगे.

रिजवी ने दोहराया कि हम अयोध्या की विवादित भूमि पर मस्जिद का होना नहीं मानते. उन्होंने कहा कि वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. अयोध्या में राम का जन्म हुआ, दुनिया इसे जानती है. उन्होंने कहा, "मैंने समझौते की कई बार कोशिश की. मैं कामयाब भले न हुआ हूं, लेकिन नाउम्मीद नहीं हुआ हूं." रिजवी ने कहा कि किसी धर्म विशेष को ठेस पहुंचाना उनका मकसद नहीं है.