'शोले' एक ऐसी फिल्म है जिसे आज भी लोग बड़े शौक से देखतें हैं. इस फिल्म के डायलॉग आज तक लोगों को याद है. इस फिल्म से जुड़ा एक ऐसा दिलचस्प किस्सा है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. जब सन 1975 में भारत में इमरजेंसी लगी थी, तब इस फिल्म के क्लाइमैक्स को भी बदल गया था. आज इमरजेंसी के 43 साल हो गए और इस अवसर पर हम आपको इस किस्से के बारे में बताएंगे. इमरजेंसी के दौरान कई फिल्म निर्माताओं को भारी नुकसान झेलना पड़ा था और रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' पर भी इसका गहरा असर पड़ा था. कहा जाता है कि फिल्म की असल कहानी में गब्बर को मार दिया गया था.
निर्देशक रमेश सिप्पी ने कई दफा इस किस्से के बारे में चर्चा की है. वह कहते हैं कि, "असल में फिल्म का क्लाइमैक्स वैसा नहीं था जैसा कि दिखाया गया है. सेंसर बोर्ड ने क्लाइमैक्स पर ऐतराज जताया था. वास्तव में कहानी में ठाकुर अपने नुकीले जूतों से गब्बर की हत्या कर देता है पर सेंसर ने गब्बर को कानून के हवाले करने को कहा था. 26 दिन तक फिल्म के क्लाइमैक्स को दोबारा शूट किया गया था."
बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में 'शोले' का नाम आता है. आपको बता दें कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, संजीव कपूर, हेमा मालिनी और जया बच्चन जैसे सितारें मुख्य भूमिका में थे. रमेश सिप्पी ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया था और यह फिल्म 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी. 2013 में इस फिल्म को 3D में भी रिलीज किया गया था.
निर्देशक रमेश सिप्पी ने कई दफा इस किस्से के बारे में चर्चा की है. वह कहते हैं कि, "असल में फिल्म का क्लाइमैक्स वैसा नहीं था जैसा कि दिखाया गया है. सेंसर बोर्ड ने क्लाइमैक्स पर ऐतराज जताया था. वास्तव में कहानी में ठाकुर अपने नुकीले जूतों से गब्बर की हत्या कर देता है पर सेंसर ने गब्बर को कानून के हवाले करने को कहा था. 26 दिन तक फिल्म के क्लाइमैक्स को दोबारा शूट किया गया था."
बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में 'शोले' का नाम आता है. आपको बता दें कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, संजीव कपूर, हेमा मालिनी और जया बच्चन जैसे सितारें मुख्य भूमिका में थे. रमेश सिप्पी ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया था और यह फिल्म 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी. 2013 में इस फिल्म को 3D में भी रिलीज किया गया था.