Birthday Special: क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे दिलीप कुमार, इस वजह से बन गए अभिनेता
दिलीप कुमार (Photo Credits: Twitter)

दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अपने दौर के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक थे. आज भी दर्शक उनकी फिल्मों को उतने ही शौक से देखते हैं. उनका असली नाम युसूफ खान (Yusuf Khan)  है. आज उनके जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनसे जुड़ा एक रोचक किस्सा बताने जा रहे हैं. असल में दिलीप कुमार एक क्रिकेटर बनने का सपन देखते थे. जब वह अपने परिवार के साथ मुंबई आए, तब उन पर क्रिकेट का खुमार चढ़ गया. एक बार जब उनके दोस्तों ने उन्हें एक नाटक में भाग लेने को कहा था, तब भी उन्होंने मना कर दिया था.

साल 1943 में दिलीप कुमार एक इंटरव्यू देने के लिए बॉम्बे टॉकीज पहुंचे थे. जब वहां की मालकिन देविका रानी ने उन्हें एक्टिंग का ऑफर दिया, तब दिलीप साहब ने उनसे कहा कि उन्हें अभिनय नहीं आता है. उसी दौरान उनके पिता को बिजनेस में भारी नुकसान हुआ. इसलिए वह 1250 रुपये महीने की तनख्वाह पर बॉम्बे टॉकीज में काम करने लगे.

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दिलीप कुमार ने फिल्म 'ज्वार भाटा' (1944) से फिल्मी दुनिया में कदम रखा था. छह दशक से ज्यादा समय के अपने करयिर में उन्होंने 65 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. वह 'अंदाज', 'दीदार', 'देवदास', 'मधुमति', 'मुगल-ए-आजम', 'नया दौर', 'राम और श्याम' और 'गंगा जमुना' जैसी कई फिल्मों में भी नजर आए.

दिलीप कुमार ने नए स्वतंत्र भारत और इसकी विविधता व उज्जवल भविष्य को 'नया दौर' (1957) जैसी फिल्मों में बखूबी दर्शाया, जिसका जिक्र लॉर्ड मेघनाद देसाई ने अपनी पुस्तक 'नेहरूज हीरो: दिलीप कुमार इन द लाइफ आफ इंडिया' में किया है.