PM e-drive Scheme: मोदी सरकार ने लॉन्च की पीएम ई-ड्राइव योजना, इलेक्ट्रिक टू-थ्री व्हीलर को मिलेगा बढ़ावा, इन्फ्रास्ट्रक्चर में होगा बड़ा सुधार! (Watch Video)
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PM e-drive Scheme: भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना शुरू की है जिसका नाम है पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एनहांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव). यह योजना फास्टर एडॉपशन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना की जगह लेगी जो मार्च में समाप्त हो गई थी. यह भी पढ़े: Schneider Electric ने लॉन्च किए 8 नए एनर्जी सेविंग प्रोडक्ट, ऑटोमेशन को मिलगी नई रफ्तार

क्या है पीएम ई-ड्राइव योजना?

यह योजना दोपहिया, एम्बुलेंस, ट्रक और थ्री-व्हीलर के लिए है. इस योजना के तहत 24.79 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को सहायता मिलेगी. इसके अलावा, इस योजना के तहत देशभर में 88,500 जगहों पर चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी. यह भी पढ़े: Tesla Fast-Track Entry in India: भारत में टेस्ला की एंट्री! जल्द शुरू होगा इलेक्ट्रिक कारों का प्रोडक्शन, PMO ने दिया निर्देश

 

मोदी सरकार ने लॉन्च की पीएम ई-ड्राइव योजना:

कितना पैसा खर्च होगा?

सरकार ने पीएम ई-ड्राइव योजना के लिए 10,900 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. योजना भारी उद्योग मंत्रालय के तहत आएगी और अगले दो सालों तक लागू रहेगी.

किन वाहनों को मिलेगा फायदा?

इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर, इलेक्ट्रिक ट्रक, इलेक्ट्रिक बस और इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस के खरीद पर सब्सिडी दी जाएगी. हालांकि, इस योजना में इलेक्ट्रिक कारों को शामिल नहीं किया गया है.

सरकार का दावा

सरकार का कहना है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया, थ्री-व्हीलर, इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस, इलेक्ट्रिक ट्रक और अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है. इस योजना में राज्य परिवहन इकाइयों और अन्य सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद का प्रावधान भी है, जिसके लिए 4,391 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

इलेक्ट्रिक बसों पर जोर

सरकार ने कहा है कि 40 लाख से ज्यादा आबादी वाले 9 शहरों - दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलोर, पुणे और हैदराबाद में इलेक्ट्रिक बसों की मांग CESL (केंद्रीय इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट) द्वारा एकत्रित की जाएगी. राज्यों के साथ परामर्श करने के बाद अंतर्राज्यीय और अंतरराज्यीय इलेक्ट्रिक बसों को भी सहायता प्रदान की जाएगी.

क्यों धीमी है इलेक्ट्रिक वाहनों की गति?

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की प्रक्रिया अभी धीमी है. पिछले वित्तीय वर्ष में इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री में दोपहिया वाहनों का हिस्सा 56% था, जबकि थ्री-व्हीलर का हिस्सा 38% था. इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी बिक्री के पीछे चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी एक बड़ा कारण है. बहुत से लोग यह सवाल मन में रखते हैं कि लंबी दूरी की यात्रा के दौरान चार्जिंग की कमी के कारण उनकी गाड़ी बंद न हो जाए.

चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के अलावा चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए भी भारी खर्च किया जाएगा. इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर लगाए जाएंगे, जिसके लिए 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1,800 फास्ट चार्जर और इलेक्ट्रिक दोपहिया और थ्री-व्हीलर के लिए 48,400 फास्ट चार्जर लगाने का प्रस्ताव है.

पीएम ई-ड्राइव योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देकर प्रदूषण कम किया जाए और भारत को एक स्वच्छ और हरा-भरा देश बनाया जाए.