पहले की तुलना में कोविड-19 की इस लहर में युवा आबादी अधिक संक्रमित हुई: सरकार
कोविड-19 महामारी (Photo Credits: pixabay)

नयी दिल्ली, 3 फरवरी: सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि औसतन 44 वर्ष की आयु की युवा आबादी कोविड-19 की इस लहर में तुलनात्मक रूप से अधिक संक्रमित हुई. साथ ही, रेखांकित किया कि इस बार इलाज के लिए दवाओं का इस्तेमाल बहुत कम हुआ. साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड की इस लहर में मरीजों में गले में खराश की समस्या ज्यादा देखने को मिली. उन्होंने कहा कि पिछली लहर की तुलना में औसतन 44 वर्ष की आयु वाली थोड़ी कम उम्र की आबादी इस लहर में अधिक संक्रमित हुई. भार्गव ने कहा कि पहले की लहरों में संक्रमित आबादी के वर्ग की औसत आयु 55 वर्ष थी. यह भी पढ़ें: Omicron Variant: कोविड संक्रमण के बाद कुछ ही घंटों में फैल सकता है ओमिक्रॉन- विशेषज्ञ

यह निष्कर्ष कोविड-19 की ‘नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री’ से निकला है, जिसमें 37 चिकित्सा केंद्रों में भर्ती मरीजों के बारे में डेटा एकत्र किया गया था. भार्गव ने कहा, 'दो समय अवधि थी, जिनका हमने अध्ययन किया. एक अवधि 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक की थी, जब माना जाता है कि डेल्टा स्वरूप हावी था. दूसरी अवधि 16 दिसंबर से 17 जनवरी तक की थी, जब समझा जाता है कि ओमीक्रोन के ज्यादा मामले आ रहे थे.’’

भार्गव ने कहा कि 1,520 अस्पताल में भर्ती व्यक्तियों का विश्लेषण किया गया और इस तीसरे लहर के दौरान उनकी औसत आयु लगभग 44 वर्ष थी. उन्होंने कहा, 'हमने यह भी पाया कि इस लहर के दौरान दवाओं का उपयोग काफी कम हुआ. गुर्दे की विफलता, श्वसन संबंधी गंभीर रोग (एआरडीएस) और अन्य रोगों के संबंध में कम जटिलताएं देखने को मिलीं. यह भी पढ़ें: Coronavirus: केंद्र ने कोविड संबंधी दिशानिर्देश 28 फरवरी तक बढ़ाए, किसी तरह की ढिलाई न बरतने की अपील

भार्गव ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर टीकाकरण वाले लोगों में मृत्यु दर 10 प्रतिशत और बिना टीकाकरण वाले लोगों में 22 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा, ‘'वास्तव में इस युवा आबादी में टीकाकरण करा चुके 10 में से नौ लोग पहले से कई रोगों से ग्रस्त थे, जिनकी मृत्यु हुई. बिना टीकाकरण वाले मामले में 83 प्रतिशत लोग पहले से विभिन्न रोगों से ग्रस्त थे. इसलिए टीकाकरण नहीं कराने और पहले से कई रोग से ग्रस्त होने पर किसी मरीज का भविष्य तय होता है.'