नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कानूनी दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीकरण के प्रति आप सरकार के ‘‘रवैये’’ पर बृहस्पतिवार को अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि वह इस विचार के ‘‘पूरी तरह खिलाफ’’ है। अदालत ने साथ ही मुख्य सचिव को इसको लेकर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि यह अब तक क्यों नहीं किया गया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की एक पीठ ने कहा, ‘‘आपका रवैया...प्रतीत होता है, हम जैसा ठीक समझेंगे वैसा करेंगे।’’ पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उसे बताया गया कि दिल्ली सरकार ने अदालत द्वारा 31 अगस्त को इस आशय का सुझाव दिये जाने के बावजूद कानूनी दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए अभी तक कदम नहीं उठाये हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘आप कानूनी दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर रहे हैं। जैसा कि हम मामलों को ऑनलाइन दर्ज कर रहे हैं, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से साक्ष्य की दर्ज कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि आप (दिल्ली सरकार) भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली की ओर बढ़ें। हम आपके अधिकारियों और जनता के बीच सम्पर्क को कम करना चाहते हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि जनता उप-रजिस्ट्रार कार्यालयों में जाए और कतारों में खड़ी हो, खासकर महामारी के दौरान। ई-पंजीकरण के कई अन्य लाभ भी हैं।’’
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अदालत ने कहा कि यदि पासपोर्ट के लिए आवेदन करना है, कर रिटर्न दाखिल करना, कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों द्वारा बोर्ड परीक्षा के फॉर्म जमा करना है, आदि यह ऑनलाइन किया जा सकता है और ऐसे सभी मामलों में दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक / डिजिटल रूप से सत्यापित किया जा सकता है, ‘‘तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा क्यों नहीं किया जा सकता।’’
अदालत ने निर्देश दिया कि सरकार के सर्वोच्च अधिकारी - मुख्य सचिव - को पीठ द्वारा उठाए गए बिंदुओं का जवाब देते हुए और इस मामले में उसके पहले के आदेशों को ध्यान में रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक हलफनामा दायर करना चाहिए।
इस निर्देश के साथ ही पीठ ने मामले को 24 नवंबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
उच्च न्यायालय अधिवक्ता गौरव गंभीर द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में उप-रजिस्ट्रार वरिष्ठ नागरिकों, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं के 'वसीयत' और अन्य दस्तावेजों को कोविड-19 संक्रमण के जोखिम का हवाला देते हुए दर्ज करने से इनकार कर रहे हैं।
उन्होंने गत 31 अगस्त को मामले की पिछली सुनवायी के दौरान अदालत को बताया था कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और हरियाणा ने उप-रजिस्ट्रार कार्यालय बिना गए ही कानूनी दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू कर दिया है।
गत 31 अगस्त को, उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों की कठिनाइयों को कम करने और लोगों के साथ अधिकारियों के संपर्क को कम करने के लिए कानूनी दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीकरण जल्द से जल्द शुरू करने का सुझाव दिया था।
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