नई दिल्ली, 10 जुलाई: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला के 23 सप्ताह के गर्भ के समापन के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को आप सरकार और एम्स को नोटिस जारी किया. इस महिला की याचिका के अनुसार गर्भ में पल रहे भ्रूण में गंभीर किस्म की विकृतियां है. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को नोटिस जारी कर महिला की याचिका पर उनसे जवाब मांगा है.
पीठ ने महिला की जांच करने के बाद एम्स को 13 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट अदालत को देने का निर्देश दिया है. इस मामले में अब 14 जुलाई को आगे सुनवाई होगी. महिला ने वकील स्नेहा मुखर्जी के जरिए दायर की याचिका में कहा कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को स्पाइना बिफिडा और आर्नोल्ड चिरी सिंड्रोम है जिससे रीढ़ की हड्डी का सही तरीके से विकास नहीं होता और मस्तिष्क का ऊतक रीढ़ की नाल तक बढ़ जाता है.
याचिका में कहा गया है कि अल्ट्रासाउंड की रिपोर्टों के अनुसार भ्रूण के मस्तिष्क में विकृत्ति है और उसे दिल से जुड़ी भी समस्या है. इसमें कहा गया है कि इन असामान्यताओं के कारण बच्चे का जन्म के बाद जीवित रहना मुश्किल है. याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर गर्भावस्था जारी रहती है तो इससे महिला को अपूरणीय शारीरिक और मानसिक क्षति हो सकती है.
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