मुंबई, 21 अप्रैल शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के नये गीत से 'जय भवानी' और 'हिंदू' जैसे शब्द हटाने के लिए निर्वाचन आयोग से एक नोटिस मिला है, लेकिन वह इसका पालन नहीं करेंगे।
उद्धव ठाकरे ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी के गीत से 'जय भवानी' हटाने की मांग करना महाराष्ट्र का अपमान है।
ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी ने अपने नये चुनाव चिह्न 'मशाल' को लोकप्रिय बनाने के लिए एक गीत तैयार किया है और निर्वाचन आयोग ने इसमें से 'हिंदू' एवं 'जय भवानी' जैसे शब्द हटाने को कहा है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज ने देवी तुलजा भवानी के आशीर्वाद से हिंदवी स्वराज की स्थापना की। हम देवी या हिंदू धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं। यह अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।’’
उन्होंने कहा कि वह अपनी जन सभाओं में 'जय भवानी' और 'जय शिवाजी' कहने की परंपरा जारी रखेंगे।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर निर्वाचन आयोग हमारे खिलाफ कार्रवाई करता है, तो उन्हें हमें बताना होगा कि उन्होंने उस समय क्या किया जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए लोगों से ‘जय बजरंग बली’ कहने और ईवीएम का बटन दबाने को कहा था। (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह ने लोगों से कहा था कि वे अयोध्या में रामलला के दर्शन मुफ्त में करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट दें। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना (यूबीटी) ने निर्वाचन आयोग से पूछा है कि क्या कानून बदल दिए गए हैं और क्या अब धर्म के नाम पर वोट मांगना ठीक है। आयोग ने हमारे पत्र और हमारे द्वारा भेजे गए स्मरण-पत्र का जवाब नहीं दिया है। स्मरण-पत्र में हमने कहा था कि अगर कानून बदले गए हैं तो हम अपनी चुनावी रैलियों में 'हर-हर महादेव' भी कहेंगे।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता बालासाहेब ठाकरे को मतदान करने और चुनाव लड़ने से छह साल के लिए रोक दिया गया था क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के लिए अभियान चलाया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।
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