अहमदाबाद, 30 मई महेंद्र सिंह धोनी स्तब्ध थे. रविंद्र जडेजा ने जब फाइनल में टीम को जीत दिलाकर डगआउट की ओर दौड़ना शुरू कर दिया और टीम के अन्य साथी भी उनकी ओर दौड़े तब भी धोनी ने अपना सिर नहीं उठाया. हो सकता है कि धोनी दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद पूरी प्रक्रिया के बारे में सोचने की कोशिश कर रहे हों. मोईन अली ने उन्हें गले से लगाया और इस इस दौरान उनके चेहरे पर कोई हावभाव नहीं थे. हो सकता है कि आखिरी छह गेंदों के दौरान उनके दिमाग में कोई तूफान चल रहा हो और यह उसके बाद की शांति थी. यह भी पढ़ें: चेन्नई के जीत के जश्न में भावुक हुए कप्तान धोनी, बेटी जीवा भी लिपट गई (Watch Video)
धोनी की अगुआई में टीम ने 11वें फाइनल में खेलते हुए पांचवीं बार आईपीएल खिताब जीता. टीम ने अपना काम कर दिया था. धोनी इसके बाद अपनी मुस्कुराहट रोक नहीं पाए और उत्साहित जडेजा कूदकर उनके गले लग गए.
पिछले सत्र के बीच में जडेजा के कप्तानी छोड़ने के बाद इस तरह की अटकलें थी कि उनके और धोनी के रिश्ते बिगड़ रहे हैं लेकिन जैसे कि कहावत है ‘अंत भला तो सब भला’.
धोनी के मन में क्या चल रहा होता है यह किसी को पता नहीं होता. क्या दुनिया ने नम आंखें देखीं? शायद हां। लेकिन भावनाओं का खुलकर प्रदर्शन नहीं होगा. यह पूरी तरह से एक प्रक्रिया पर चला और सटीकता के साथ उसे लागू करता है। हां, थोड़ी किस्मत भी.
वह चुपचाप मैदान में दौड़ता है। गुजरात टाइटंस के दुर्भाग्यशाली गेंदबाज मोहित शर्मा का सिर थपथपाता है। वह जानता है कि इतना करीब आना और फिर भी चूकने पर कैसा लगता है. ओल्ड ट्रैफर्ड को याद कीजिए जहां वह अपने ही अंदाज में टीम को वापसी दिला रहे थे. यही कारण है कि धोनी विशेष हैं. उन्हें असफलताओं के साथ उतना ही जोड़ा जा सकता है जितना सफलताओं के साथ.
मोहित ने सुपरकिंग्स के साथ धोनी के नेतृत्व में शीर्ष स्तर पर गेंदबाजी में सफलता हासिल की लेकिन फिर गुमनामी में खो गए. उन्होंने इसके बाद आईपीएल में जोरदार वापसी की.
इस बीच जडेजा टीवी साक्षात्कार में अपने प्रदर्शन और जीत को ‘महेंद्र सिंह धोनी’ को समर्पित करते हैं. मोटेरा का स्टेडियम जश्न में गूंज उठाता है लेकिन क्या यह संकेत है कि अंत निकट है.
यह सवाल धोनी के पीछे हर शहर में गया है और अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से उनसे पूछा. उन्होंने हालांकि हमेशा समझदारी दिखाते हुए डैनी मॉरिसन को दिए चुटीले जवाब की तरह ही प्रतिक्रिया दी. धोनी ने मॉरिसन को मजाक में कहा कि वह उन्हें संन्यास लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
क्या हमने धोनी को अंतिम बार मैदान पर देख लिया है. शायद हां या शायद नहीं. केवल समय ही बताएगा कि 43 साल की उम्र की ओर बढ़ते हुए वह क्षतिग्रस्त घुटने से कैसे निपटते हैं.
धोनी ने पांचवीं ट्रॉफी उठाने से पहले कहा, ‘‘अगर परिस्थितियों को देखें तो मेरे लिए संन्यास लेने का यह सर्वश्रेष्ठ समय है. मेरे लिए यह कहना बहुत आसान है कि अब मैं विदा ले रहा हूं लेकिन अगले नौ महीने तक कड़ी मेहनत करके लौटना और एक सत्र और खेलना कठिन है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘शरीर को साथ देना होगा. चेन्नई के प्रशंसकों ने जिस तरह से मुझे प्यार दिया, यह उनके लिये मेरा तोहफा होगा कि मैं एक सत्र और खेलूं. उन्होंने जो प्यार और जज्बात दिखाये हैं, मुझे भी उनके लिये कुछ करना चाहिये.’’
अगर धोनी 43 साल की उम्र में अगले साल दो महीने के एक और कड़े सत्र में खेलने का फैसला करते हैं तो यह एक व्यावहारिक निर्णय होगा या भावनात्मक होगा?
पेशवर खेल में हालांकि ऐसा करना आसान नहीं होगा और धोनी समय लेना चाहते हैं. देखने में यह भावनात्मक लग सकता है क्योंकि सीएसके धोनी के लिए सिर्फ एक और टीम नहीं है जो उन्हें मोटी तनख्वाह देती है। यह एक भावनात्मक निवेश है.
एक और आईपीएल 10 महीने दूर है और अगर धोनी उसमें खेलना चाहते हैं तो उन्हें सत्र से कम से कम तीन महीने पहले से खुद को क्रिकेट खेलने के लिए फिट रखना होगा और वह ऐसा करने का प्रयास करेंगे.
जैसा कि मुख्य कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने मैच के बाद बताया। धोनी के प्रशिक्षण सत्र जरूरत के अनुसार होते हैं.
फ्लेमिंग ने कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि उन्होंने आईपीएल के दौरान विकेटकीपिंग का कोई अभ्यास नहीं किया है। यह सब स्वाभाविक है। उन्होंने डेवोन कॉनवे के साथ विकेटकीपिंग सत्र करने की कोशिश की जो एक अंतरराष्ट्रीय विकेटकीपर हैं और यह लगभग हास्यप्रद था.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज वह शानदार था. उसने बेहतरीन स्टंपिंग की जो दिखाता है धोनी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर है. यह उसका स्वभाव है, उसने टेनिस गेंद के क्रिकेट से सीखा है और यह सिर्फ कौशल है.’’
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