कोलंबो, 12 मई श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश के सबसे विकट आर्थिक संकट को लेकर इस्तीफा देने के जनता और विपक्ष के भारी दबाव के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि संसद कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने पर विचार करेगी। यह कदम उनकी शक्तियों पर अंकुश लगाएगा।
शासन की राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करना और इसके स्थान पर ऐसी व्यवस्था लाना, जो संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करती है, यह विपक्ष की मुख्य मांगों में से एक रही है। देश में 1978 से शासन की राष्ट्रपति प्रणाली लागू है।
राष्ट्रपति ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि उनके बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफा देने के बाद मौजूदा राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने हैं।
गोटबाया ने ट्वीट किया, ‘‘देश को निरंकुशता से बचाने और देश के कामकाज को जारी रखने के लिए नयी सरकार गठित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। संसद में बहुमत हासिल करने वाले और लोगों का विश्वास हासिल कर सकने वाले प्रधानमंत्री को इस सप्ताह के भीतर नियुक्त किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि नयी सरकार को एक नया कार्यक्रम शुरू करने का अवसर और देश को आगे ले जाने का अधिकार दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘संसद को और सशक्त करने के लिए 19वें संशोधन की बातों को फिर से लागू करने के लिए संविधान में संशोधन किए जाएंगे।’’
राष्ट्रपति ने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करने की विभिन्न वर्गों की मांग पर विचार किया जाएगा। नयी सरकार और देश को स्थिर करने की उसकी क्षमता के साथ, हमारे पास इस पर चर्चा करने और आम सहमति की ओर काम करने का अवसर होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों की जान और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए सरकारी तंत्र को अबाधित रूप से काम करने में मदद का विनम्र अनुरोध करता हूं।’’
बहरहाल, उन्होंने इस बारे में कोई संकेत नहीं दिया कि क्या उनकी इस्तीफा देने की कोई योजना है, जिसकी सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ ही विपक्ष ने भी मांग की है।
उन्होंने ये ट्वीट ऐसे समय में किए हैं, जब इससे पहले देर रात टेलीविजन पर देश को दिए संबोधन में उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था, लेकिन एक नया प्रधानमंत्री और एक युवा मंत्रिमंडल इस सप्ताह नियुक्त करने का वादा किया था।
इस बीच ‘डेली मिरर’ अखबार की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति ने समागी जन बलवेगया (एसजेबी) सांसद और फील्ड मार्शल सरथ फोन्सेका को प्रधानमंत्री पद की पेशकश करने के लिए मुलाकात की है।
फोन्सेका ने राष्ट्रपति गोटबाया की अध्यक्षता वाली सरकार में कोई पद स्वीकार करने की खबरों से साफ इनकार करते हुए कहा कि वह ‘गोटागोगामा’ वेबसाइट पर प्रदर्शन कर रहे लोगों से विचार-विमर्श किए बिना राजपक्षे संकट को हल करने में कभी साझेदार नहीं बनेंगे।
श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के 76 वर्षीय नेता महिंदा 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति थे और उस दौरान उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के खिलाफ क्रूर सैन्य अभियान चलाया था।
रक्षा मंत्रालय के सचिव कमल गुणरत्ने ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को त्रिंकोमाली स्थित नौसेना अड्डे पर ले जाया गया है जहां वह सुरक्षा घेरे में हैं।
इस बीच, राष्ट्रपति कार्यालय ने घोषणा की कि हिंसक घटनाओं के बाद लगाया गया देशव्यापी कर्फ्यू बृहस्पतिवार सुबह सात बजे से सात घंटों के लिए हटाया गया और उसे फिर से दोपहर दो बजे लागू किया जाएगा। कर्फ्यू शुक्रवार को सुबह छह बजे तक लागू रहेगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)