नयी दिल्ली, छह जून कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा की कुछ हालिया घटनाओें को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘चुप’ क्यों हैं तथा वह राज्य का दौरा कर समुदायों के बीच सुलह की अपील क्यों नहीं करते?
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर भेजने की पहल क्यों नहीं कर रहे हैं?
उन्होंने कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ऐसा लगता है कि सात सप्ताह पहले मणिपुर में जो भयावह त्रासदी शुरू हुई थी वो खत्म नहीं हुई है। गृह मंत्री ने एक महीने की देरी से राज्य का दौरा किया और इस सहृदयता के लिए राष्ट्र को उनका आभारी होना चाहिए।’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री अब भी चुप क्यों हैं? वह राज्य का दौरा कर समुदायों के बीच सुलह की अपील क्यों नहीं करते? वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर जाने के लिए प्रोत्साहित क्यों नहीं करते?’’
उल्लेखनीय है कि मणिपुर के पश्चिम इंफाल जिले में रविवार शाम भीड़ ने एक एम्बुलेंस को रास्ते में रोक उसमें आग लगा दी, जिससे उसमें सवार आठ वर्षीय बच्चे, उसकी मां और एक अन्य रिश्तेदार की मौत हो गई।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई है।
मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह मणिुपरा का दौरा किया था। उन्होंने यह घोषणा की थी कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा।
शाह ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन और हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे के साथ ही राहत और पुनर्वास पैकेज की भी घोषणा की थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)