नयी दिल्ली, आठ फरवरी सरकार ने जमाखोरी पर अंकुश लगाने और कीमत वृद्धि को रोकने के लिए बृहस्पतिवार को थोक विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसरों) के लिए गेहूं भंडार रखने के मानदंडों को सख्त कर दिया है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को अब 1,000 टन के बजाय 500 टन तक गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति है। बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेता प्रत्येक बिक्री केन्द्र में पांच टन और अपने सभी डिपो में 1,000 टन के बजाय कुल 500 टन गेहूं स्टॉक रख सकते हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रसंस्करणकर्ताओं को अप्रैल 2024 तक शेष महीनों में अपनी मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत के बजाय 60 प्रतिशत को बनाए रखने की अनुमति दी जाएगी।
समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी तथा सट्टेबाजी को रोकने के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा 12 जून, 2023 को लागू की गई थी, जो इस साल मार्च तक लागू रहेगी।
मंत्रालय ने कहा कि सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा और प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति अद्यतन करनी होगी।
यदि उपरोक्त संस्थाओं द्वारा रखे गए स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक हैं, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा में लाना होगा।
मंत्रालय ने कहा कि केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी पैदा न हो।
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