‘मोदी की गारंटी’ की आखिर ‘वारंटी’ क्या है: कांग्रेस ने सरकार से पूछा
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नयी दिल्ली, 12 दिसम्बर : कांग्रेस ने सरकार से आमलोगों को गुमराह न करने की सलाह देते हुए मंगलवार को कहा कि सत्तापक्ष ने अब ‘मोदी की गारंटी’ के नये जुमले गढ़े हैं, लेकिन सरकार को यह बताना चाहिए कि ‘गारंटी की वारंटी’ क्या है. लोकसभा में विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने वर्ष 2023-24 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच तथा वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगों पर चर्चा के दौरान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आम लोगों को गुमराह करना सरकार का काम नहीं होता, सरकार इससे बाज आए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से रोजाना सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की बात सुनाई जाती है, लेकिन उसे (सरकार को) क्या पता है कि लोगों के आर्थिक हालात क्या हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह से जनता को बरगलाना नहीं चाहिए.

चौधरी ने कहा कि रोज सुबह से शाम तक अब नया जुमला ‘मोदी की गारंटी’ सुनने को मिल रहा है, इससे पहले तक ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का नारा था. उन्होंने कहा, ''अब नारे बदल गये, पर बात यह है कि गारंटी किसकी है और गारंटी की वारंटी भी होती है, तो यह वारंटी क्या है.'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनाव से पहले दो करोड़ नौकरी देने, हर आदमी के खाते में 15 लाख रुपये डालने तथा कालाधन वापस लाने के वादे किये थे, उनका क्या हुआ. उन्होंने अर्थशास्त्री रघुराम राजन की एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए कहा कि सरकार को जनता को गुमराह नहीं करना चाहिए. चौधरी ने कहा कि उन्हें मोदी से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन जिस तरह से सुबह से लेकर शाम तक मोदी का गुणगान सदन में होता है तो उनकी यह सलाह है कि सत्तापक्ष के सदस्य सुबह सदन आने से पहले मोदी स्तुति करके सदन में आया करें. उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ देश में ठीक है तो मोदी जी ने पांच साल अन्न की गारंटी संबंधी योजना क्यों चलाई और वह रेवड़ियां बांटने के लिए क्यों बेचैन हैं. यह भी पढ़ें : राज्य के वित्तीय संकट से केंद्र को अवगत कराना मेरा कर्तव्य : केरल के राज्यपाल

इससे पहले कल अधूरी रही चर्चा को आगे बढ़ाते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सैयद इम्तियाज जलील ने अल्पसंख्यकों का बजट कम करने का सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने सरकार की चीन की नीति पर भी सवाल खड़े किये. ऑल इंडिया अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के पी. रवीन्द्रनाथ ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए आपातकालीन ऋण गारंटी योजना शुरू करने की मांग की. आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार रिंकू ने पंजाब सरकार के करीब आठ हजार करोड़ रुपये बकाये के भुगतान की मांग की. कांग्रेस के ही राजमोहन उन्नीथन ने शिक्षा के क्षेत्र में बजट कटौती का आरोप लगाते हुए कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों में ‘ड्रॉपआउट’ (बीच में ही पढ़ाई छोड़ने) की दर बढ़ रही है. एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल ने अपने क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं के लिए धनराशि की मांग की.