विदेश की खबरें | युद्ध की कगार पर पहुंचा पश्चिमी एशिया, ईरान पर हमला करने की इजराइल के पास वाजिब वजह
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मेलबर्न, पांच अक्टूबर (द कन्वरसेशन) इजराइली हवाई हमलों में हमास और हिजबुल्ला नेताओं के मारे जाने के जवाब में ईरान ने जब इस सप्ताह इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागीं तो कुछ लोग तेहरान की इस जोरदार प्रतिक्रिया को देखकर दंग रह गये।

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने तुरंत एक निश्चित समय पर कठोर जवाबी कार्रवाई की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि देर रात जब उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने एक बैठक की तो उसमें तय हुआ कि जो कोई भी हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे। बाइडन प्रशासन ने ईरान की आक्रामकता की कड़ी निंदा करते हुए इजराइल की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

व्हाइट हाउस ने कहा कि ईरान को ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमले नहीं करने का आग्रह किया।

इसलिए यह देखना जरूरी हो जाता है कि इजराइल की जवाबी कार्रवाई कैसी हो सकती है और क्या ईरान व इजरायल के बीच युद्ध की शुरुआत हो सकती है या फिर अमेरिका अपने वादे के अनुरूप इजराइल के लिए युद्ध में शामिल हो सकता है?

क्षेत्रीय युद्ध लगभग शुरू

क्षेत्रीय युद्ध अब लगभग शुरू हो चुका है। लगभग एक वर्ष पहले गाजा में शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया में फैल चुका है। इजराइल अपनी सीमा से दूर देशों और समूहों से लड़ रहा है, जिसके कई वैश्विक परिणाम भी हैं।

इस सप्ताह ईरान द्वारा किये गये हमले से ये साफ है कि यह संघर्ष एक तरफ इजराइल व उसके पश्चिमी सहयोगियों और दूसरी तरफ रूस व चीन द्वारा समर्थित ईरान और उसके सहयोगियों के बीच सीधा टकराव बन गया है।

वाशिंगटन ने इजराइल को सैन्य और कूटनीतिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जबकि रूस ने ईरान को लड़ाकू विमान और वायु रक्षा तकनीक भेजने का वादा किया है। रूस, यूक्रेन के साथ अपने युद्ध के लिए ईरान से हथियार भी खरीद रहा है, जिससे तेहरान को बहुत जरूरी नकदी प्राप्त हो रही है।

इसके अलावा इजराइल कई मोर्चों पर जंग लड़ रहा है।

सबसे पहले इजराइल और गाजा के बीच युद्ध जारी है। इस युद्ध में 40,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। हमास एक गुरिल्ला संगठन बन चुका है हालांकि अब भी विस्थापित फलस्तीनी आबादी पर उसका कुछ नियंत्रण है।

इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) वेस्ट बैंक में बढ़ती आतंकी घटनाओं से पार पाने के लिए ईरान द्वारा मुहैया हथियारों और वित्तपोषित स्थानीय आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है।

इस बीच इराक व सीरिया में शिया उग्रवादी और यमन में हूती विद्रोही अभी भी इजराइल के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं।

शिया और हूती ईरान के अन्य छद्म समूह हैं।

वहीं इजराइल और अमेरिका दोनों ने यमन में हूती विद्रोहियों पर जवाबी हमला किया है।

इजराइल ने दो सप्ताह पहले एक निर्णायक कदम उठाते हुए हिज्बुल्ला द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट करने का कथित आदेश दिया क्योंकि नेतन्याहू को डर था कि इस ऑपरेशन के उजागर होने का खतरा है।

इसके बाद इजराइली सेना ने हिज्बुल्ला के एक शस्त्रागार को नष्ट करने के उद्देश्य से एक बड़े पैमाने पर हवाई अभियान चलाया। इस शास्त्रागार में 150,000 मिसाइलों, रॉकेट और ड्रोन होने का अनुमान था।

इजराइली हमले के परिणामस्वरूप लगभग दस लाख लेबनानी लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

ईरान पर जवाब हमला करने के लिए इजराइल के पास विकल्प

और अब इस सप्ताह इजराइल, कथित रूप से सैन्य ठिकानों पर बैलिस्टिक मिसाइल दागने के साथ ही ईरान भी सीधे तौर पर जंग में शामिल हो चुका है। अमेरिका, जॉर्डन और अन्य देशों की सहायता से इजराइल की उन्नत मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली हालांकि ज्यादातर मिसाइलों को रोकने में कामयाब रहीं।

कुछ मिसाइलें इजराइल के अंदर गिरीं, जिनके छर्रे लगने से वेस्ट बैंक में एक फलस्तीनी की मौत हो गई। हाल के महीनों में ईरान का इजराइल के खिलाफ यह दूसरा सीधा हमला था। पहले हमले में इजरायल ने हालांकि ईरानी वायु रक्षा प्रणाली को मामूली नुकसान पहुंचाया था। यह हमला इस्फहान में कथित तौर पर एक परमाणु केंद्र पर किया गया था।

लेकिन इस बार इजराइल कैसी जवाबी कार्रवाई करेगी और उसका प्रभाव क्या रहेगा इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।

एक चीज जो तेहरान को बहुत चिंतित कर रही है वह यह कि इजराइल, अमेरिका के साथ मिलकर उसके महत्वपूर्ण ठिकानों या फिर सुविधा केंद्रों को निशाना बना सकता है। ईरान को उसके संचार और परिवहन नेटवर्क, वित्तीय संस्थान और तेल उद्योग (विशेष रूप से वे सुविधाएं, जो शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प के वित्तपोषण तंत्र का हिस्सा हैं) पर हमले की आशंका हैं। इससे ईरान के भीतर अराजकता पैदा हो सकती है, जिससे सरकार को खतरा हो सकता है।

तेहरान में सत्ता परिवर्तन बेहद मुश्किल है लेकिन ईरानी नेतृत्व फिर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। तेहरान ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को किसी भी अनहोनी का शिकार होने से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है। ईरानी नेताओं को डर सता रहा है कि इजराइल और अमेरिका इस अवसर का फायदा उठाकर उसके परमाणु ठिकानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

गेंद इजराइल के पाले में

ईरानी अधिकारियों ने तनाव को कम करने के प्रयास में मिसाइल हमले के बाद शत्रुता समाप्त करने की अपनी इच्छा को जल्दबाजी में घोषित कर दिया।

हालांकि गेंद अब इजराइल के पाले में है। उसे किसी भी तरह की जवाबी कार्रवाई करने से पहले इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि आईडीएफ पहले से ही कई मोर्चों पर व्यस्त है।

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