नयी दिल्ली, 19 जून मांग कमजोर होने और विदेशों में मंदी के रुख के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिनौला, सीपीओ, पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। अन्य तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
बाजार सूत्रों ने बताया कि इंडोनेशिया में प्रतिबंध के बाद निर्यात पुन: खोलने और परमिट जारी किए जाने से विदेशी बाजारों में खाद्य तेल कीमतों के भाव लगभग 20 प्रतिशत मंदे हुए हैं। इसके अलावा स्थानीय मांग में भी कमी आई है जिससे सभी तेल-तिलहनों के भाव में गिरावट आई है।
सूत्रों ने कहा कि पामोलीन तेल के मुकाबले अब आयातक कच्चे पामतेल के आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं। पामोलीन तेल के भाव बेपड़ता बैठते हैं यानी खरीद भाव के मुकाबले इसका बाजार भाव कहीं नीचे है। उन्होंने कहा कि वैसे आयातकों को भारी नुकसान है। आयातकों ने आज से छह माह पूर्व डॉलर के जिस भाव पर खरीद कर बिक्री कर दी थी, उस बैंक कर्ज के ब्याज का भुगतान डॉलर के मौजूदा भाव के अनुरूप करना पड़ रहा है जिससे उनकी लागत अधिक बैठती है। लेकिन बैंकों का कर्ज का सिलसिला चलाये रखने के लिए उन्हें डॉलर के मौजूदा भाव पर ब्याज अदा करना पड़ रहा है।
बंदरगाहों पर इन आयातकों ने भारी मात्रा में लाखों टन के हिसाब से सोयाबीन डीगम और सीपीओ का आयात किया हुआ है और ब्याज अदायगी के लिए उन्हें सस्ते दाम पर अपना माल निकालना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि सीपीओ और पामोलीन में आई गिरावट के कारण सोयाबीन तेल के भाव भी प्रभावित हुए हैं। सरसों की मंडियों में आवक कम है, पर मांग कमजोर होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। विदेशी तेलों के भाव घटने और मांग कमजोर होने से मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव भी गिरावट के साथ बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि सरकार खाद्य तेलों का भंडार रखने की सीमा (स्टॉक लिमिट) लगाती है और बाद में छापेमारी की जाती है लेकिन इन उपायों का कोई स्थायी परिणाम नहीं मिलता है। समस्या की असली जड़ अधिकतम खुदरा मूल्य यानी एमआरपी है। इसे दुरुस्त करने की पहल होनी चाहिये।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 75 रुपये घटकर 7,440-7,490 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 200 रुपये घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,100 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 30-30 रुपये घटकर क्रमश: 2,365-2,445 रुपये और 2,405-2,510 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में भाव टूटने और मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 200-200 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,750-6,850 रुपये और 6,450-6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में तेल कीमतों के भाव टूटने से सोयाबीन तेल कीमतें भी नुकसान के साथ बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 1,050 रुपये की हानि के साथ 15,150 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 950 रुपये टूटकर 15,700 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 1,200 रुपये की गिरावट के साथ 13,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
विदेशी तेलों में आई गिरावट से मूंगफली तिलहन का भाव भी 100 रुपये की गिरावट के साथ समीक्षाधीन सप्ताह में 6,715-6,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 300 रुपये की गिरावट के साथ 15,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 45 रुपये टूटकर 2,615-2,805 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में तेल कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की मंदा आने के बाद कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 950 रुपये टूटकर 13,000 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 900 रुपये टूटकर 14,750 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 880 रुपये टूटकर 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 600 रुपये की कमजोरी दर्शाता 14,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वैसे बिनौला में कारोबार नगण्य है।
राजेश
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)