नयी दिल्ली, 18 जनवरी यहां की एक अदालत ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो से जुड़े धनशोधन मामले में लावा इंटरनेशन कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) हरिओम राय की जमानत अर्जी बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने चिकित्सा आधार पर जमानत देने की राय की गुहार ठुकरा दी। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत के समक्ष पेश रिपोर्ट संकेत करते हैं कि उन्हें तत्काल इलाज की या उनके जान को किसी तरह का खतरा नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘जेल अधीक्षक से प्राप्त मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर इस अदालत की राय है कि आवेदक ऐसी किसी भी प्राण घातक स्थिति या बीमारी या अशक्तता से पीड़ित नहीं हैं, जिससे उनके जीवन को खतरा हो या जिनका जेल में इलाज नहीं हो सके।’’
न्यायाधीश ने कहा कि वास्तव में, उन्हें हर उस बीमारी का इलाज मुहैया कराया गया है जिसके बारे में उन्होंने न्यायिक हिरासत में रहते हुए शिकायत की है। उन्होंने कहा कि जहां तक दिल की बीमारी का सवाल है तो उन्हें एंजियोग्राफी की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने खुद ही इससे इनकार कर दिया।
अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘विभिन्न रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि ऐसी कोई तात्कालिक या अत्यावश्यक समस्या नहीं है जिसका समाधान नहीं किया गया हो या न्यायिक हिरासत के दौरान उपचार उपलब्ध न कराया गया हो। आवेदक को न्यायिक हिरासत में रहते हुए शीघ्र, तत्काल और उचित उपचार मिल रहा है...उक्त प्रावधान के अनुसार आरोपी को चिकित्सा आधार पर जमानत देने की अर्जी खारिज की जाती है।’’
राय के वकील ने इससे पहले अदालत में बहस के दौरान कहा था कि उनकी कंपनी और वीवो एक दशक पहले भारत में एक संयुक्त उद्यम शुरू करने को लेकर बातचीत कर रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से उनका चीनी कंपनी या उसके प्रतिनिधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि राय का वीवो के कारोबार से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
राय और कुछ अन्य को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो ने अवैध रूप से 62,476 करोड़ रुपये चीन को भेजे।
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