देश की खबरें | राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये दूरदर्शी, भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रणाली तैयार हो रही : मोदी

राजकोट, 24 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये देश में पहली बार एक दूरदर्शी एवं भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रणाली तैयार की जा रही है। उन्होंने पिछली सरकारों पर “गुलाम मानसिकता” के कारण देश के खोए हुए गौरव को वापस पाने के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाया।

राजकोट में श्री स्वामीनारायण गुरुकुल के 'अमृत महोत्सव' को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि देश में आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 के बाद काफी बढ़ी है।

वर्ष 2014 में मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की पहली सरकार बनी थी।

प्रधानमंत्री ने भारत की प्राचीन 'गुरुकुल' प्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि ज्ञान देश में जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य रहा है। मोदी ने कहा कि संतों और आध्यात्मिक नेताओं ने शिक्षा के क्षेत्र में देश की खोई हुई महिमा को पुनर्जीवित करने में मदद की।

उन्होंने कहा, “आप अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने में हमारी मौजूदा शिक्षा नीति और संस्थानों की बड़ी भूमिका है। इसलिए आजादी के इस अमृतकाल में शिक्षा अवसंरचना हो या शिक्षा नीति... हम हर स्तर पर काम कर रहे हैं।”

मोदी ने कहा, “देश में आज आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे बड़े शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ रही है। 2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 65 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है। नयी शिक्षा नीति के माध्यम से देश पहली बार एक ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार कर रहा है, जो दूरदर्शी और भविष्योन्मुखी है।”

उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत आजाद हुआ तो देश के प्राचीन गौरव व शिक्षा के क्षेत्र में हमारे महान गौरव को पुनर्जीवित करना हमारी जिम्मेदारी थी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, “लेकिन गुलाम मानसिकता के दबाव में सरकारें उस दिशा में नहीं चलीं और कुछ मामलों में उल्टी दिशा में चली गईं। ऐसे में एक बार फिर हमारे संतों और आचार्यों ने देश के प्रति इस कर्तव्य को निभाने का बीड़ा उठाया है। स्वामीनारायण गुरुकुल इसका जीता जागता उदाहरण है।” मोदी ने कहा कि भारत ने 'आत्मतत्व' से 'परमात्मा' तक, अध्यात्म से आयुर्वेद तक, सामाजिक विज्ञान से सौर विज्ञान तक, गणित से धातु विज्ञान तक, और शून्य से अनंत तक के क्षेत्रों में अनुसंधान करके दुनिया को रास्ता दिखाया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब विश्व में 'लैंगिक समानता' जैसे शब्द का जन्म नहीं हुआ था तब हमारे यहां गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियां शास्त्रार्थ कर रही थीं।’’

उन्होंने कहा, “भारत ने अंधकार से भरे युगों में मानवता को प्रकाश की वो किरणें दीं, जिनसे आधुनिक विश्व और विज्ञान की यात्रा शुरू हुई।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस काल के गुरुकुलों ने गार्गी और मैत्रेयी जैसी महिला विद्वानों को शास्त्रार्थ की अनुमति देकर उनके लिए दुनिया को समझने का मार्ग प्रशस्त किया।

मोदी ने कहा कि ज्ञान भारत में जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य रहा है, इसलिए जब अन्य देशों की पहचान राज्यों और शाही कुलों के आधार पर की जाती थी, तब भारत को उसके गुरुकुलों की वजह से जाना जाता था।

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