उन्होंने कहा कि विदेशों में फंसे लोगों को वन्दे भारत योजना के तहत हवाई जहाज भेज कर वापस लाया गया लेकिन देश में लाखों प्रवासी मजदूरों को घर वापसी के लिए कोई साधन नहीं था। प्रवासी मजदूरों ने घर लौटने के लिए भारी तकलीफों के बीच पैदल यात्रा की।
उन्होंने कहा कि इस महामारी के कारण देश की स्वास्थ्य प्रणाली की कमियां सामने आई और इसे दुरुस्त करने के बजाय देश में आपातकाल जैसी स्थिति बना दी गई। महामारी के बीच डाक्टरों की हड़ताल हुई क्योंकि उन्हें वेतन नहीं मिल रहा था।
द्रमुक के टी शिवा ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि देश में संक्रमण के मामलों की संख्या 50 लाख से ज्यादा है और महामारी से मरने वालों की संख्या लगभग 82,000 है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना का पहला मामला काफी पहले प्रकाश में आया था तभी इसके प्रसार को रोकने का इंतजाम करना चाहिये था।
उन्होंने कहा कि सरकार डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत इंतजाम में व्यस्त थी और उसे लोगों की चिंता कम थी। उन्होंने दावा किया कि एक विदेशी गायिका के कार्यक्रम में वीआईपी लोगों में संक्रमण फैलने की घटना के बाद सरकार ने लॉकडाउन का कदम उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संक्रमण के मामलों की संख्या कम बता रही है और स्वास्थ्यकर्मियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
टीआरएस के के केशवराव ने कहा कि कोविड-19 मरीजों सहित विभिन्न समस्याओं में राज्य सरकारों को जनता की जरुरतों के बारे में ज्यादा जानकारी होती है। इसलिए राज्य सरकार की जरुरतों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में भी किसानों ने रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कर सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को उसके वस्तु एवं सेवा कर का जो हिस्सा मिलना चाहिये, उसका तत्काल भुगतान किया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि राज्यों को अस्पताल या अन्य जरूरी अवसंरचनाओं को विकसित करने में मदद करने के लिए केन्द्र को आगे आना होगा।
जद (यू) के आरसीपी सिंह ने कोरोना योद्धाओं की सराहना करते हुए कहा कि दूसरे राज्यों में जाकर वहां विकास कार्य करने वाले मजदूरों को प्रवासी नहीं कहना चाहिेये। उन्होंने कहा कि वे इस देश के नागरिक हैं, उन्हें कहीं भी रहकर काम करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या अन्य देशों के मुकाबले कम (यानी लगभग 1.67 प्रतिशत) है। उन्होंने कहा कि हमें इस तरह का माहौल निर्मित करना चाहिये कि ‘दहशत’ न हो।
माकपा के इलामारम करीम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिन कोरोना से लड़ाई लड़ेंगे, उसका क्या हुआ, इस बात का जिक्र स्वास्थ्य मंत्री के बयान में नहीं है।
उन्होंने कहा कि राज्यों के जीएसटी बकाये का भुगतान नहीं किया गया है। ‘एमपीलैड’ कोष ‘पीएम केयर्स फंड’ में लगाया जा रहा है जिससे उस राशि का इस्तेमाल आधारभूत अवसंचना में नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार आम लोगों की समस्याओं को लेकर अधिक चिंतित नहीं है जहां महामारी के बाद की स्थितियों में 14-15 लाख श्रमिक अपना रोजगार खो चुके हैं।
चर्चा में स्वप्न दासगुप्ता ने भी भाग लिया।
चर्चा अधूरी रही।
राजेश
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