पटना, छह अप्रैल राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेजा बने प्रशांत किशोर ने बृहस्पतिवार को उस वक्त खुश से फूले नहीं समाए जब उनके समर्थन वाले एक उम्मीदवार ने बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन से विधान परिषद की एक सीट जीत ली जबकि भाजपा को उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी बनने की खुशी है।
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अफाक अहमद ने भाकपा के आनंद पुष्कर को आसान अंतर से हराकर सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की।
पुष्कर के पिता केदारनाथ पांडेय भाकपा के एक अनुभवी नेता थे और उन्होंने लगातार कई बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए हैं।
महागठबंधन में कुल मिलाकर सात दल शामिल हैं जिसमें से वाम दलों में भाकपा, भाकपा (माले) और माकपा नीतीश कुमार सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।
फिलहाल अपने ‘जन सुराज अभियान’ के तहत एक राज्यव्यापी पदयात्रा कर रहे किशोर द्वारा भविष्य में राजनीतिक संगठन बनाने की उम्मीद है।
अपने जन सुराज अभियान के तहत सारण जिले का दौरा कर रहे किशोर ने 59 वर्षीय अहमद की जीत की सराहना करते हुए कहा, ‘‘सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता राजद के गढ़ सारण, सीवान और गोपालगंज जैसे जिलों से आते हैं। इसके अलावा भाजपा का गढ़ चंपारण भी है।’’
उन्होंने अहमद के बारे में कहा, ‘‘एक किसान का बेटा जिसने चुनाव में एक रुपया भी खर्च नहीं किया, राज्य में दोनों प्रमुख राजनीतिक गठजोड़ को धूल चटाई है।’’
हालाँकि भाकपा के राज्य सचिव राम नरेश पांडेय ने आईपैक के संस्थापक किशोर पर ‘‘भाजपा के इशारे पर पैसे के लिए काम करने’’ और ‘‘कोई विचारधारा नहीं’’ होने का आरोप लगाया।
स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की चार अन्य सीटों के लिए भी द्विवार्षिक चुनाव हुए जिनमें से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने दो को बरकरार रखा लेकिन भाजपा के हाथ एक सीट गंवा दी।
राज्य भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि सात दौर की मतगणना में बढ़त बनाए रखने के बाद अवधेश नारायण सिंह गया स्नातक से जीत की ओर अग्रसर हैं।
जीवन कुमार का मुकरबजर जदयू के निवर्तमान एमएलसी संजीव श्याम सिंह के साथ था।
चौधरी ने दावा किया कि भाजपा अब बिहार में सबसे बड़ी संख्या में एमएलसी वाली पार्टी बन गई है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने आरोप लगाया कि राजद ने अपने वरिष्ठ नेता को अपमानित करने के लिए अवधेश नारायण सिंह के खिलाफ अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे पुनीत सिंह को मैदान में उतारा है।
हालांकि जदयू एमएलसी संजीव कुमार सिंह और वीरेंद्र यादव ने क्रमशः कोसी शिक्षक और सारण स्नातक बनाए रखा और दोनों स्थानों पर अपने-अपने निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वियों को हराया।
गौरतलब है कि 75 सदस्यीय बिहार विधान परिषद में अब तक सबसे बड़ी पार्टी रही जदयू की संख्या अब घटकर 23 हो गई है जो अवधेश नारायण सिंह के औपचारिक रूप से विजेता घोषित होने के बाद भाजपा की संख्या से एक कम होगी।
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