उत्तरकाशी (उत्तराखंड)/नयी दिल्ली, 28 नवंबर : बचावकर्मी मंगलवार को सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में पड़े मलबे के दूसरी ओर पिछले 16 दिन से फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए जरूरी 60 मीटर तक की खुदाई के काम को पूरा करने के करीब पहुंच गए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. इससे पहले उत्तराखंड के सूचना विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने दोपहर डेढ़ बजे के बाद संवाददाताओं को बताया कि ‘ड्रिलिंग’ पूरी हो चुकी है. यह जानकारी आने के करीब आधा घंटे बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी दी कि श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मलबे में पाइप डाले जाने का काम पूरा हो गया है. सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में धामी ने कहा, ‘‘बाबा बौखनाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है. शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा.'' इससे पहले, सुरंग बना रही राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने इस बात की पुष्टि नहीं की थी कि ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है. उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि आखिरी पाइप को मलबे में डाला जा रहा है.
लेकिन दिल्ली में शाम चार बजे प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता ने कहा कि बचावकर्मी सफलता के करीब हैं ‘‘परंतु अभी सफलता नहीं मिली है.’’ उन्होंने कहा कि खनन विशेषज्ञ की मदद से अंतिम खंड में हाथ से खुदाई की जा रही है और वे 58 मीटर की बिंदु तक पहुंच गए हैं और अभी लगभग दो मीटर और खुदाई की जानी बाकी है. इससे पहले अधिकारियों ने बताया था कि एनडीआरएफ के जवान खुदाई कर मलबे में अंदर डाले गए स्टील पाइपों के अंदर जाएंगे और श्रमिकों को एक-एक करके बाहर लाएंगे. श्रमिकों को निकासी के बाद तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए सुरंग के अंदर आठ बिस्तरों वाला एक अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया गया है. अभी तक किए गए अभ्यास के अनुसार, हर श्रमिकों को कम उंचाई के पहिए वाले स्ट्रेचरों पर लिटाया जाएगा और उसे बचावकर्मियों द्वारा रस्सियों की मदद से बाहर खींचा जाएगा. इस पूरी कवायद में दो से तीन घंटे लगने की संभावना है . सुरंग में बचावकार्य पूरा होने की जानकारी आने से कई घंटे पहले से सुरंग के आसपास हलचल तेज हो गयी थी . श्रमिकों के बाहर आते ही उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस सुरंग के बाहर तैयार खड़ी हैं. श्रमिकों को निकटवर्ती चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा जहां 41 बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है . यह भी पढ़ें : मणिपुर हिंसा: न्यायालय ने शवों के अंतिम संस्कार के लिए निर्देश जारी किए
एंबुलेंस को चिन्यालीसौड़ जल्द पहुंचाने के लिए पहले से बनी कच्चे मार्ग को ठीक कर दिया गया है. स्ट्रेचरों को सुरंग के अंदर ले जाया गया है . बचाव अभियान की सफलता की सूचना आते ही सुरंग के बाहर खड़े श्रमिकों ने 'जय श्रीराम' के नाम का जयकारा लगाया. इससे पहले, लारसन एंड टयूबरों टीम का नेतृत्व कर रहे क्रिस कूपर ने श्रमिकों का इंतजार जल्द खत्म होने की भविष्यवाणी की थी. उन्होंने संवाददाताओं को बताया था कि श्रमिक शाम पांच बजे तक बाहर आ सकते हैं . उन्होंने यह भी बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए विकल्प के तौर पर की जा रही लंबवत ड्रिलिंग को अब रोक दिया गया है . भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग के दौरान शुक्रवार को मशीन के कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया . इसके बाद सुरंग में हाथ से ड्रिल कर पाइप डालने की रणनीति अपनाई गयी . ऑगर मशीन के रूकने से पहले तक मलबे में 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग की जा चुकी थी जबकि करीब 10 मीटर की ड्रिलिंग शेष थी . बचे काम को हाथ से पूरा करने के लिए 12 'रैट होल' विशेषज्ञों को बुलाया गया था. अपने 22 वर्षीय पुत्र मंजीत का सुरंग के बाहर इंतजार कर रहे चौधरी ने कहा कि उन्हें अधिकारियों ने सिलक्यारा में रूके परिवारजनों से कहा है कि उन्हें श्रमिकों के पास ले जाए जाने की व्यवस्था की जाएगी . सुरंग में फंसे एक अन्य श्रमिक गब्बर सिंह नेगी के भाई जयमल सिंह नेगी ने कहा कि आज प्रकृति भी खुश लग रही है . उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने परिजनों को अपना सामान तैयार रखने और अग्रिम आदेशों का इंतजार करने को कहा है .