देहरादून, 26 दिसंबर बीतने जा रहे बरस में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी पर लगाया गया दांव चल गया। विधानसभा चुनावों से महज कुछ महीने पहले पार्टी ने तीरथ सिंह रावत की जगह उन्हें कुर्सी पर बैठाया और फरवरी में हुए चुनाव में पार्टी लगातार दूसरी बार इस राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई।
उत्तराखंड में हालांकि आम तौर पर चुनावों में जनता द्वारा सत्ताधारी पार्टी को हटाने का चलन रहा है।
धामी हालांकि अपनी खटीमा सीट से चुनाव हार गए और उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद बरकरार रखने के लिये उपचुनाव जीतना पड़ा।
राजनीति को छोड़ें तो 2022 प्रदेश के लिये आपदाओं से भरा वर्ष रहा। एक सड़क हादसे में 33 लोगों की जान चली गई तो बर्फीले तूफान ने 22 लोगों की जान ले ली जबकि केदरानाथ में हेलीकॉप्टर हादसे में तीर्थयात्रियों को जान गंवानी पड़ी।
सरकार को पूर्व में हुए भर्ती घोटालों, पर्यावरण संबंधी चिंताओं और एक होटल रिसेप्शनिस्ट की हत्या को लेकर सड़कों पर उतरे लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
भाजपा के पास 2017 के चुनाव में 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें थीं लेकिन 2022 के चुनाव में उसे 47 सीटें मिली जबकि कांग्रेस के खाते में महज 19 सीटें आईं।
अपनी पहली ही बैठक में राज्य कैबिनेट ने चुनावी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति को कुछ ही महीनों के भीतर 2.5 लाख सुझाव मिले। इसका कार्यकाल हाल ही में मई 2023 तक छह महीने और बढ़ा दिया गया था।
सरकार ने उत्तर प्रदेश जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों की तर्ज पर एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून भी पेश किया। जबर्दस्ती या लालच के माध्यम से धर्म परिवर्तन अब एक गैर-जमानती अपराध है जिसके लिए 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।
राज्य विधानसभा द्वारा पारित एक अन्य प्रमुख कानून ने राज्य में अधिवासित महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पूर्व में अदालतों में याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) को तीन कथित घोटालों को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें परीक्षा प्रश्न-पत्र लीक शामिल था। एक विशेष जांच दल ने आरोपों की जांच की और यूकेएसएसएससी के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
धामी ने जोर देकर कहा कि घोटाले उस समय के हैं जब वह सत्ता में नहीं थे। उन्होंने कहा, “ये घोटाले 2014-16 में हुए थे। हम केवल उनकी जांच करवाकर और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजकर तंत्र को साफ कर रहे हैं।”
इसके अलावा, विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने विधानसभा सचिवालय में भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए पूर्व नौकरशाहों की एक समिति गठित की। इसकी सिफारिश पर 228 नियुक्तियां रद्द कर दी गईं।
ऋषिकेश के निकट रिसोर्ट के मालिक द्वारा वहां काम करने वाली एक युवा रिसेप्शनिस्ट की कथित रूप से हत्या किए जाने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया। आरोपी के पिता एक भाजपा नेता थे, जिन्हें बाद में पार्टी ने निलंबित कर दिया।
रिसॉर्ट के मालिक ने 19 वर्षीय अंकिता भंडारी पर रिसॉर्ट में रहने आने वाले मेहमानों के साथ कथित तौर पर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डाला, और इनकार करने पर उसे मार डाला। विपक्ष ने राज्य सरकार पर मामले में एक अनाम वीआईपी को बचाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
अक्टूबर में, 17,000 फुट पर आपदा आई और उत्तरकाशी जिले में द्रौपदी का डांडा शिखर से लौट रहे 29 पर्वतारोहियों को हिमस्खलन ने चपेट में ले लिया। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की टीम के सदस्यों के शवों को निकालने के लिए कई एजेंसियों की तरफ से व्यापक प्रयास किए गए। इनमें से दो का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
लगभग उसी समय, पौड़ी जिले में बारातियों से भरी एक बस गहरी खाई में गिर गई, जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई। उसी महीने के अंत में, चार धाम यात्रा पर तीर्थयात्रियों को ले जाने वाला एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे उसमें सवार सभी सात लोगों की मौत हो गई।
कोविड महामारी के चलते करीब दो साल के अंतराल के बाद इस बार चार-धाम यात्रा पूरी तरह से संचालित की गई। इस बार 61 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चार-धाम के दर्शन किए जो एक रिकॉर्ड है।
इस साल 281 चार धाम तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई, जिनमें से ज्यादातर मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुईं। यह 2019 (90 मौतें), 2018 (102 मौत) और 2017 (112 मौत) की तुलना में एक बड़ी संख्या थी।
पहाड़ी राज्य में मानव-पशु संघर्ष जारी रहने के कारण जनवरी और नवंबर के बीच तेंदुए के हमलों में बीस लोगों की मौत हो गई। वहीं वन विभाग ने चार आदमखोर तेंदुओं को मार दिया।
वन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधि को लेकर विवाद था। भारतीय वन सर्वेक्षण ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पखरो में टाइगर सफारी शुरू करने के लिए 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे, जबकि राज्य ने परियोजना के लिए अनुमति मांगते समय केंद्रीय वन मंत्रालय को 163 पेड़ काटे जाने की जरूरत बताई थी।
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