वाशिंगटन, एक मार्च पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने बताया कि उन्होंने यूक्रेन युद्ध के विषय में प्रधानमंत्री से कहा कि यह निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच लड़ाई है।
समूह ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन को और मदद मुहैया कराने के लिए लोकतांत्रिक देशों को एकजुट होना चाहिए।
सीनेट में बहुमत के नेता चार्ल्स शूमर ने वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जब हम भारत में थे, तो हमें वहां नेताओं से बात करने का मौका मिला। हमने यह भी तर्क दिया कि यह निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच की लड़ाई है। जब हमने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, तो हमने उनके समक्ष यह मामला उठाया।’’
शूमर के साथ भारत आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में सीनेटर रॉन विडेन, जैक रीड, मारिया कैंटवेल, एमी क्लोबुचर, मार्क वार्नर, गैरी पीटर्स, कैथरीन कॉर्टेज-मस्तो और पीटर वेल्च शामिल थे। ये सभी सीनेटर सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी से ताल्लुक रखते हैं।
शूमर ने कहा कि भारतीय नेता के साथ मुलाकात के दौरान सीनेटर अधिक स्पष्ट थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर रूस जैसी निरंकुशता प्रबल होती है, तो चीन जैसी निरंकुशता को और बल मिल सकता है। यह सिर्फ ताइवान का मसला नहीं है। वर्षों से चीन और भारत के बीच सीमा विवाद रहा है। हाल ही में वहां संघर्ष हुआ था।’’
शूमर ने कहा, ‘‘यूक्रेन में लड़ाई का प्रभाव वहां (भारत में) भी होगा। हमने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य प्रशांत सहयोगियों के साथ सहयोग और समन्वय करना चाहिए। भारत को सहकारी विकास और सह-उत्पादन प्रणाली के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए, ताकि हम अपने रक्षा औद्योगिक आधार का विस्तार कर सकें।’’
अपनी भारत यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए न्यूयॉर्क के सीनेटर शूमर ने कहा, ‘‘अगर हम इस सदी में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पछाड़ना चाहते हैं, तो अमेरिका और पश्चिमी देशों को भारत के साथ अपने संबंधों को गहरा करने का प्रयास जारी रखना होगा।’’
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